यूपी सरकार ने कासगंज पर केंद्र को भेजी रिपोर्ट, आरोपियों पर कार्रवाई का दिया ब्यौरा
उत्तरप्रदेश सरकार ने गृहमंत्रालय को बताया है कि हिंसा भड़कने के तत्काल बाद उसे रोकने के लिए कदम उठाए गए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कासगंज में भड़की सांप्रदायिक हिंसा पर उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। उप्र सरकार ने हिंसक झड़पों और उसमें मारे गए एक युवक के साथ-साथ हिंसा रोकने के लिए उठाए कदमों की भी जानकारी दी है। ध्यान देने की बात है कि गृह मंत्रालय ने कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की थी।
गृहमंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किस तरह से 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान दो संप्रदायों के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई, जिसमें एक युवक मारा गया और दो अन्य घायल हो गए। राज्य सरकार ने पुलिस इस मामले में पुलिस की ओर से दर्ज एफआइआर की भी जानकारी दी गई है। राज्य सरकार का कहना है कि इस मामले की पुलिस जांच कर रही है और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
उत्तरप्रदेश सरकार ने गृहमंत्रालय को बताया है कि हिंसा भड़कने के तत्काल बाद उसे रोकने के लिए कदम उठाए गए। हिंसाग्रस्त क्षेत्र के साथ-साथ आसपास के इलाकों में भी भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल राज्य सरकार की रिपोर्ट संतोषजनक नजर आ रही है। लेकिन जरूरत पड़ने पर नए सिरे से रिपोर्ट मांगी जा सकती है।
समाजवादी पार्टी का भाजपा पर आरोप
इधर समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर जनता को गुमराह कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि झूठ और गलतबयानी में माहिर भाजपा ने वोट पाने के लिए जनता को गुमराह किया। कासगंज घटना सोची समझी साजिश के तहत कराई गई है। इसकी जांच चल रही है, अगर निष्पक्षता के साथ पूरी हुई तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। आने वाले लोकसभा उपचुनाव में पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की बदौलत मैदान में उतरेगी। विधानसभा के बाहर आलू फेंकने वाले किसान थे लेकिन सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया और दिक्कतों को दूर करने की बजाय दूसरों पर दोषारोपण करके अपना पल्ला झाड़ लिया।