राहुल ने कराई पार्टी की किरकिरी, UPA सरकार के निशाने पर भी थे गिरफ्तार आरोपी
संप्रग सरकार ने नक्सलियों के साथ संबंध को लेकर जिन 128 संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकारों को पत्र लिखा था, उनमें भी इन आरोपियों के संगठनों का भी नाम था।
नई दिल्ली[नीलू रंजन]। भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार आरोपियों को भले ही मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में पेश कर हाय-तौबा मचाया जा रहा हो, लेकिन उनके नक्सलियों के साथ नजदीकी संबंध जगजाहिर है। इस मामले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें कई नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में पहले भी जेल जा चुके हैं। यही नहीं, संप्रग सरकार ने नक्सलियों के साथ संबंध को लेकर जिन 128 संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकारों को पत्र लिखा था, उनमें भी इन आरोपियों के संगठनों का भी नाम था।
प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश में अब तक 10 गिरफ्तार
मामले पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों के भीमा कोरेगांव हिंसा और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश में शामिल होने का सबूत पुणे पुलिस को अदालत में पेश करना है, लेकिन इस मामले में अभी तक जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन सभी का नक्सलियों के साथ संबंधों से कोई इनकार नहीं कर सकता है।
गिरफ्तार माअोवादी समर्थक पहले भी काट चुके है सजा
हैदराबाद से गिरफ्तार वरवर राव को आंध्रप्रदेश पुलिस पहले भी नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में गिरफ्तार कर चुकी है। यही नहीं, आंध्रप्रदेश सरकार के साथ बातचीत के लिए नक्सलियों ने वरवर राव को अपना प्रतिनिधि भी बनाया था। इसी तरह से अरुण फरेरा और वरनान गोंजाल्विस को इसके पहले 2007 में भी नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है और कई साल जेल की सजा भी काट चुके हैं। अरबन नक्सल यानी शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे नक्सली कोई नई बात नहीं है।
मनमोहन सिंह सरकार के दौरान हुई थी कार्रवाई
गृहमंत्रालय के नक्सल प्रबंधन विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान ऐसे नक्सलियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई थी। इसी सिलसिले में दिल्ली में छिपे कोबाड गैंडी को गिरफ्तार किया गया था। जो अभी तक जेल में है। यही नहीं, नक्सली हिंसा की साजिश में शामिल होने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी साईबाबा को गिरफ्तार किया गया था और आरोपपत्र भी दाखिल किया गया था।
UPA शासन में 128 संगठनों की हुई थी पहचान
इसी तरह से जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा को नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है।यही नहीं, संप्रग सरकार के दौरान गृहमंत्रालय ने पूरे देश में फैले 128 संगठनों की पहचान की थी, जो मानवाधिकार व दूसरे छद्म गतिविधियों की आड़ में नक्सली हिंसा को बढ़ावा देने में जुटे थे। उस वक्त सभी राज्यों सरकारों को इन नक्सलियों से जुडे़ संगठनों और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ कारवाई के लिए भी कहा गया था।
भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में जून से लेकर अब तक जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनसे से सात इन्हीं संगठनों से संबंधित हैं। इनमें बरबर राव, सुधा भारद्वाज, सुरेंद्र गाडलिंग, रोना विल्सन, अरुण फरेरा, वरनोन गोंजाल्विस और महेश राऊत शामिल हैं। शहरी नक्सलियों के खिलाफ ताजा कार्रवाई सिर्फ भीमा कोरेगांव हिंसा तक सीमित नहीं है। बल्कि इस हिंसा की जांच के सिलसिले में यह भी पता चला है कि नक्सली प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश भी कर रहे थे।
चिट्ठी में लिखी थी मोदी की हत्या की साजिश
पुणे पुलिस को इसी साल 18 अप्रैल को रोणा जैकब द्वारा कॉमरेड प्रकाश को लिखी गयी चिट्ठी मिली थी, जिसमें कहा गया कि अब हिंदू अतिवाद को हराना जरूरी हो गया है क्योंकि मोदी के नेतृत्व में यह लोग आगे बढ़ते चले जा रहे हैं और बंगाल और बिहार को छोड़कर अधिकतर बड़े राज्यों की सत्ता इनके हाथों में आ चुकी है। चिट्ठी में लिखा गया है कि मोदी को रोकने के लिए उनके रोड शो को टारगेट करना ठीक रहेगा, जो आत्मघाती हमला भी हो सकता है।
राहुल गांधी ने क्या कहा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। अब एक बार फिर राहुल गांधी ने वामपंथी विचारधारा का समर्थन करते हुए पार्टी की किरकिरी करा बैठे हैं। कभी नक्सलवाद और माअोवाद का विरोध करने वाली कांग्रेस को ही अाज राहुल गांधी कटघरे में खड़ा कर दिए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन लोगों का बचाव करते हुए इसे आजादी पर हमला बताया। उन्होंने ट्वीट किया कि नए भारत में केवल एक गैर सरकारी संगठन आरएसएस के लिए है।
भाजपा का पलटवार
राहुल के इस बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा ने उन्हें मनमोहन सिंह का वह बयान याद दिलाया है जो उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए आज से 9 साल पहले दिया था। भाजपा नेता किरण रिजजू ने ट्वीट कर राहुल को मननोहन सिंह का वह कथन याद दिलाया है जिसमें मनमोहन नक्सिलयों को देश के विकास में बाधक मानते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
2009 में मनमोहन सिंह ने क्या कहा था
नक्सलियों के बढ़ रहे प्रभाव पर 2009 में देश के प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह ने कहा था कि यह देश के लिए चिता का विषय है। मनमोहन सिंह ने तब माना था कि देश को सबसे बड़ा खतरा नक्सली ताकतों से है। साथ ही उन्होंने माना भी था कि नक्सलियों के खिलाफ जिस तरह की सफलता की उम्मीद थी उसे सरकार हासिल नहीं कर सकी है।
मनमोहन सिंह ने कहा था कि केंद्रीय भारत में नक्सलियों के प्रभाव में जिस रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही है, वह चिंता का विषय है। इससे सबसे अधिक वहां के मूल निवासी आदिवासियों की समस्याएं बढ़ेंगी। उन्होंने आगे कहा कि नक्सलियों का मजबूत होना विकास की रफ्तार को रोक सकता है। हम विकास करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इस तरह के गु ट कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करते हैं, जिसका इन्हें अधिकार नहीं है। इस तरह के गुटों के खिलाफ हम कठोर कार्रवाई करेंगे।
ये लोग कई मामलों में पहले भी जा चुके है जेल
पीएम मोदी की हत्या के साजिश में नजरबंद वरवर राव, अरुण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस इससे पहले भी संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण जेल जा चुके हैं। वामपंथी विचारक वरवर राव को 1986 के रामनगर षड्यंत्र मामले में गिरफ्तार होने के 17 साल बाद उन्हें 2003 में इस मामले में रिहाई मिली। 19 अगस्त 2005 को आंध्र प्रदेश सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत उन्हें फिर से गिरफ्तार करके हैदराबाद स्थित चंचलगुडा जेल भेजा गया। बाद में 31 मार्च 2006 को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के खत्म होने सहित राव को अन्य सभी मामलों में जमानत मिल गई।
अरुण फरेरा प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओ) की संचार और प्रचार इकाई के प्रमुख है। उन्हें वर्ष 2014 में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। इसी दौरान ‘कलर्स ऑफ केज : ए प्रीजन मेमोर्स’ नाम की पुस्तक प्रकाशित हुई। इसमें उनके पांच साल तक जेल में रहने का विवरण है।
वेरनन गोंजाल्विस पर नक्सलियों से जुड़े होने का आरोप है। उन पर 20 आरोप थे, लेकिन जेल में छह साल गुजारने के बाद सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया।
माओवादियों के दो पत्रों के कारण ही हुई पुलिस कार्रवाई
मंगलवार को कई राज्यों में छापे के दौरान पांच माअोवादी विचारकों की गिरफ्तारी इसलिए संभव हो पाई क्योंकि माओवादियों के दो गोपनीय पत्र पुलिस के हाथ पहले ही लग गए थे। इन पत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की योजना का जिक्र था। इन पत्रों के जरिये ही मंगलवार को पकड़े गए वामपंथियों के माओवादियों के साथ रिश्ते उजागर हुए। इस मामले में जहां सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सभी को 5 सितंबर तक घर में नजरबंद करने का अादेश दिया है, वहीं राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है।