बंद होंगी देशभर में चल रहीं गैर पंजीकृत 2000 बाल संरक्षण संस्थाएं
सुप्रीम कोर्ट ने सभी बाल संरक्षण केंद्रों को वर्ष 2015 में बने नए जेजे एक्ट के तहत पंजीकृत कराने का आदेश दिया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। बिना पंजीयन कराए देशभर में चल रहीं करीब 2000 बाल संरक्षण संस्थाओं (सीसीआइ) पर सख्ती की तैयारी है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अगर जल्द ही ये संस्थाएं पंजीकरण नहीं कराती हैं तो इन्हें बंद किया जा सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी बाल संरक्षण केंद्रों को वर्ष 2015 में बने नए जेजे एक्ट के तहत पंजीकृत कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद अब तक 77,00 संस्थाएं पंजीकृत हो चुकी हैं।
दरअसल, झारखंड में एक मिशनरी संस्था द्वारा अवैध रूप से बच्चों को गोद देने का मामला प्रकाश में आया था। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इसका संज्ञान लेते हुए पिछले महीने राज्य सरकारों को सभी सीसीआइ को पंजीयन कराने का निर्देश दिया था। साथ ही इन्हें देश की सबसे बड़ी गोद देने वाली सबसे बड़ी संस्था 'कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी)' से एक महीने के अंदर लिंक करना सुनिश्चित करने को भी कहा गया था।
अधिकारी ने बताया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) कानून, 2015 को लागू हुए दो साल से ज्यादा समय हो गया। इस कानून में सीसीआइ का पंजीयन तथा 'कारा' से लिंक करना बाध्यकारी है, लेकिन कुछ अनाथाश्रम ने इस प्रावधान को चुनौती दी थी।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक गैर पंजीकृत संस्था की 24 लड़कियों के यौन शोषण का मामला प्रकाश में आने के बाद मंत्रालय ने सीसीआइ को पंजीकृत कराने का फिर से आह्वान किया है। सीसीआइ के तहत बाल गृह, निगरानी गृह, विशेष गृह, संरक्षण स्थल, गोद देने वाली एजेंसी तथा खुले आश्रय गृह आते हैं।