अमानत में खयानत करने वालों पर कसी लगाम: नरेंद्र तोमर
ग्रामीण विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए ग्रामीण ढांचागत विकास को लेकर सरकार तत्पर है: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। गांवों की खुशहाली से ही देश की आर्थिक तरक्की संभव है, जिससे सरकार अच्छी तरह वाकिफ है। केंद्रीय योजनाओं में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की प्रणाली को मजबूत बनाया गया है। ग्रामीण विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए ग्रामीण ढांचागत विकास को लेकर सरकार तत्पर है। ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन की दिशा में सरकार के उठाये कदमों के बारे में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री
नरेंद्र सिंह तोमर से दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो के उप प्रमुख सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश :
ग्रामीण विकास के प्रति मंत्रालय की दशा व दिशा क्या है?
ग्रामीण विकास मंत्रालय का उद्देश्य ढांचागत विकास, सामुदायिक भावना का जागरण, आजीविका, प्रधानमंत्री आवास और मनरेगा जैसी योजनाओं से रोजगार व अचल संपत्ति का सृजन करना है। प्रधानमंत्री मोदी की सुशासन के प्रति पारदर्शिता की प्रतिबद्धता और आधुनिक तकनीक के माध्यम से कार्यक्रमों के संचालन में नए आयाम जोड़े हैं।
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। कार्यों की निगरानी के लिए क्या उपाय किए गए हैं?
मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार आती रहती थीं, जिस पर नियंत्रण पाने के उपायों के साथ कार्यों की निगरानी प्रणाली को मजबूत किया गया है। कामकाज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से योजना के तहत कराए प्रत्येक कार्य की ‘जियो टैगिंग’ कराई जा रही है। अब तक दो करोड़ से अधिक निर्माण कार्यों की जियो टैगिंग हो चुकी है। सीधे बैंक खातों में मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। इससे अमानत में खयानत करने वालों पर लगाम कसी है।
गरीबी मुक्त समाज बनाने की घोषणा हर सरकार करती है। आपकी सरकार ने इस गंभीर समस्या से निपटने के क्या उपाय किए?
गरीबी शब्द का राजनीतिक तौर पर बहुत दुरुपयोग किया जाता रहा है। गरीबी उन्मूलन की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठोस उपाय किए हैं, जिनके नतीजे भी सामने आने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले चार सालों में गरीबी मुक्ति की दर दुनिया में सर्वाधिक रही है। प्रधानमंत्री ने गरीबों को उबारने के लिए सिलसिलेवार प्रयास किया। गरीबों को पक्का मकान, शौचालय, रसोई गैस सिलेंडर, बिजली कनेक्शन, मनरेगा में काम और राशन प्रणाली से अति रियायती दर पर अनाज दिया गया है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में योजना की सड़कें बनाना कठिन हो गया है। सख्त मानकों के चलते भी निर्माण प्रभावित हो रहा है। इसके लिए क्या कुछ रियायत दी गई है?
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की कठिन चुनौतियों के बावजूद वहां 4,511 किमी लंबाई की सड़कें बन चुकी हैं। यहां के एक की आबादी वाले गांव भी सड़कों से जोड़े जा रहे हैं। यहां की सड़कों के लिए मानक में कुछ ढील भी दी गई है। लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया गया है।
ग्रामीण महिला सशक्तीकरण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा जोर रहा है। आपके मंत्रालय ने इस दिशा में क्या किया है?
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 41 लाख स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) का गठन किया गया है, जिसमें 5.70 करोड़ से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं। हमारी कोशिश इनकी संख्या बढ़ाकर नौ करोड़ करने की है। सरकार राज्यों के साथ मिलकर लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करेगी।
ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर नौकरी देने अथवा स्वरोजगार के लिए तैयार करने की योजना क्या दस्तावेजों में दब गई?
केंद्रीय बैंकों के सहयोग से सरकार ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर पूरा बल दे रही है। युवाओं का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। पिछले चार वर्षों के भीतर 16 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया। उनमें से 12 लाख युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया गया।
ग्रामीण विकास में क्षेत्रीय असंतुलन की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने क्या प्रयास किया?
सरकार ने इस दिशा में अहम कदम उठाया है। सबसे पहले क्षेत्रीय असंतुलन की पहचान की गई। पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर के राज्य पिछड़ गए थे। समूचा पूर्वोत्तर पूरे देश से कटा हुआ था। प्रधानमंत्री ने यहां का दौरा किया। प्रत्येक पखवाड़े एक मंत्री को वहां का दौरा करने की जिम्मेदारी दी गई। स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, मेडिकल सहूलियतें और अन्य संस्थान स्थापित किए गए। अब वहां के लोग खुद को सशक्त महसूस कर रहे ह
गांवों को पक्की सड़क से जोड़ने वाली पीएमजीएसवाई की रफ्तार पूरे एक दशक पीछे क्यों चल रही है? जिसे 2008 में पूरा हो जाना चाहिए था, उसके लिए नई तारीख मार्च 2019 रखी गई है।
यह सवाल तो पूर्ववर्ती संप्रग सरकार से पूछा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की सड़क निर्माण की रफ्तार को लगभग दोगुना करना पड़ा है। पहले जहां रोजाना 76 किमी सड़क बनाने की गति थी, उसे बढ़ाकर अब 134 किमी रोजाना कर दिया गया है। वर्ष 2019 तक देश के सभी गांव पक्की सड़क से जुड़ जाएंगे। 85 फीसद कार्य पूरे कर लिए गए हैं। योजना के दूसरे चरण में 50 हजार किमी सड़के बनानी हैं, जिसमें से 20 हजार किमी बन चुकी हैं। योजना के तीसरे चरण की शुरुआत चालू वित्त वर्ष में हुई। इसके तहत कुल एक लाख किमी सड़कों का निर्माण होना है।
अति पिछड़े जिलों व गांवों तक विकास की रोशनी पहुंचाने की योजना थी। क्या हुआ?
प्रधानमंत्री ने 115 अति पिछड़े जिलों को चिन्हित कर वहां केंद्र और राज्य के पूरे अमले को झोंक दिया। युवा कलेक्टर नियुक्त किए जा रहे हैं। उन जिलों की जरूरतों को हर संभव पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है। केंद्र सरकार के आठ सौ अफसरों का ऐसे जिलों में दौरा कराया गया। ग्राम स्वराज अभियान पखवाड़ा के दौरान सभी मंत्रालयों को इस काम में लगा दिया गया। 21 हजार गांवों में तो हर घर और प्रत्येक सदस्य को मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचा दिया गया। 15 अगस्त तक 65 हजार गांवों को इस दायरे में ले लिया जाएगा।