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Exclusive: राजनाथ सिंह बोले- अगर आतंकी हमला हुआ तो भारत जवाब देगा ही

केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह आजकल आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कई मोर्चों पर व्यस्त हैं।

By Vikas JangraEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 11:14 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 11:14 AM (IST)
Exclusive: राजनाथ सिंह बोले- अगर आतंकी हमला हुआ तो भारत जवाब देगा ही
Exclusive: राजनाथ सिंह बोले- अगर आतंकी हमला हुआ तो भारत जवाब देगा ही

केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह आजकल आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कई मोर्चों पर व्यस्त हैं। एक खास जिम्मेदारी है ‘घोषणापत्र’ जिस पर हर किसी की नजर है। देशभर से लाखों की संख्या में आए जनता के सुझाव राम मंदिर से लेकर पाकिस्तान को सबक सिखाने की तैयारी तक हर मुद्दे पर हैं।

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तीन-तीन सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते रहे राजनाथ तीसरी स्ट्राइक की जानकारी पर तो चुप्पी साध जाते हैं लेकिन ताल ठोककर कहते हैं - कोई आतंकवादी घटना होगी तो भारत जवाब देगा और कोई ताकत उसे कोई रोक नहीं सकेगी। राजनाथ सिंह से दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र, राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा और विशेष संवाददाता नीलू रंजन की विस्तृत बातचीत के प्रमुख अंश।

पिछले दिनों आपने कहा था कि तीन सर्जिकल स्ट्राइक हुई है, लेकिन दो के बारे में बताऊंगा, तीसरे के बारे में नहीं। तीसरी कौन सी है?

- मेरा वह स्टैंड कायम है। आपको भी नहीं बताऊंगा।

आपने निर्णायक सरकार की बात की। निर्णय लेने की क्षमता को उपलब्धि बताया। क्या माना जाए कि पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक भाजपा के राष्ट्रवाद के एजेंडा को धार देती है?

- देखिये पुलवामा के बाद जो भी एयर स्ट्राइक हुई है बालाकोट में, उसे राजनीति या चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। यदि देखा जाता है तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रश्न था। राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न था। इसीलिए एक स्वाभिमानी राष्ट्र को जो करना चाहिए था, वह भारत ने किया है। लेकिन कुछ लोग पूछ रहे हैं कि बताइए कितने आतंकी मारे गए, नंबर बताइए, सबूत दीजिए। ऐसे लोग सचमुच में हमारे वायुसेना के पायलट जवानों के शौर्य पराक्रम पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे है। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद तो सेना की ओर से कुछ सुबूत दिए गए थे। इस बार कोई सुबूत दिया जाएगा क्या?

- सुबूत देने की परंपरा नहीं रही है। मिलिट्री स्ट्रेटजी के लिहाज से भी यह सही नहीं होता है। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि पाकिस्तान की सीमा के अंदर जाकर आतंकी गढ़ में अटैक किया। दूसरी बात कि पाकिस्तान में लोगों में घबराहट और बौखलाहट हुई। इतनी बात तो तय है। इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन भारत में बैठे हुए कुछ लोगों को इसके कारण सदमा पहुंच रहा है। चिंता का विषय यह है। यह गंभीर विषय है कि इसका क्या इलाज हो। पाकिस्तान में यदि एयर स्ट्राइक होती है, तो उसको घबड़ाहट हो, सदमा पहुंचे, यह स्वाभाविक है। लेकिन भारत में कुछ लोगों को सदमा पहुंच रहा है, कुछ राजनीतिक पार्टी के नेताओं को। देश की जनता को इस पर विचार करना चाहिए और इनको सही रास्ते पर लाने का कोई न कोई प्रयत्न होना चाहिए।

किनको सदमा पहुंच रहा है? 

- यह देश देख रहा है कि किसे सदमा पहुंच रहा है। मुझे बताने की जरूरत नहीं। वे लोग खुद ही सामने आ रहे हैं।

आपने कहा कि सही रास्ते पर लाने पर विचार होना चाहिए। वह क्या रास्ता हो सकता है - चुनाव के जरिये? 

- हम चुनाव से नहीं जोड़ते इसको। जनता को तय करना चाहिए कि इनको कैसे सही रास्ते पर लाया जाए। एक चीज मैं बता दूं साफ-साफ, चाहे जो भी हो, कोई भारत पर आतंकवादी हमले की कोशिश करेगा, तो भारत उसका जवाब देगा ही। इसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है।

यानी कभी ऐसी घटना होती है तो भारत का तरीका भी ऐसी ही होगा?

-बिल्कुल ऐसा ही होगा। देखिए हमने स्ट्राइक करने में भी पड़ोसी धर्म का पालन किया है। पाकिस्तान की आर्मी पर कोई हमला नहीं किया। हमने आतंकवादी ठिकाने पर हमला किया है। इसी पड़ोसी धर्म का पाकिस्तान को पालन करना चाहिए, वह नहीं कर रहा है। बार-बार वहां के प्रधानमंत्री कहते हैं कि साहब हम आतंकवाद के खिलाफ हैं। तो क्यों नहीं, जैश ए मुहम्मद, मसूद, हाफिज को हमारे हवाले कर देते। उनके ऊपर तो बहुत सारे केस हैं। मुंबई हमले का केस है। कर दें भारत के हवाले।

पाकिस्तान बेनकाब हो गया है। दुनिया में इक्के-दुक्के को छोड़कर कोई पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं है। लेकिन अफसोस कि भारत में ही कुछ लोग ऐसी बातें करते हैं, जिससे पाकिस्तान को बढ़ावा मिलता है। इन लोगों पर राजनीति हावी है, भले ही वह देश की कीमत पर हो। यह घातक है। ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि वह भटक गए हैं। सही रास्ते पर आएं। देश की सेना के साथ खड़ा होना सीखें।

मोदी सरकार को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी उपलब्धि मिली है, लेकिन मसूद अजहर को लेकर पड़ोसी चीन को साधने में भारत क्यों नहीं कामयाब हो रहा है?

-एक तकनीकी बाधा पैदा की है चीन ने, यह बात तो सही है। लेकिन चीन ने भी सीधे खारिज नहीं किया है। आगे प्रयत्न होगा। आप देख रहे हैं कि पूरी दुनिया किस तरह भारत की बात सुन रही है। सुरक्षा परिषद के अंदर ही सदस्यों ने इस मुद्दे को उठा लिया है। अजहर पर लगाम लगनी शुरू हो गई है। कई तरीके हैं और भारत वह सब अपना रहा है। भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक को भी दुनिया का समर्थन प्राप्त है।

एयर स्ट्राइक हुआ। भारत ने बहुत अच्छा किया। लेकिन जिस पुलवामा अटैक के बाद हुआ, उस घटना में चूक के लिए अब तक किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सका है। ऐसी घटना कैसे हो गई, इनपुट होने के बाद भी?

- देखिये इनपुट तो आते रहते हैं, लेकिन स्पेसिफिक इनपुट नहीं था। सतर्कता और ज्यादा होनी चाहिए थी। मामले की जांच हो रही है। रिपोर्ट आ जाने बाद ही कुछ स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है। 

 

समस्या की जड़ में कश्मीर है। इस समस्या को कैसे सुलझाएं इसका कोई रास्ता पांच साल में नहीं निकल पाया?

-(गंभीर होते हुए) अभी तक सारे उपाय आजमा लिए, अब हो जाएगा।

यानी पहला पांच साल एसेसमेंट का था? 

- अब हो जाएगा। पक्का हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अगले पांच साल में स्थिति बहुत ही शांतिपूर्ण होगी। यह हमारा विश्वास है। तेजी से विकास होगा, कश्मीर के अंदर भी एक आत्मविश्वास दिखेगा।

उमर अब्दुल्ला तो आरोप लगा रहे हैं कि चीन और पाकिस्तान नहीं चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव हो और यहां ऐसा ही हो रहा है।

- चुनाव का निर्णय चुनाव आयोग को करना है। चुनाव आयोग जो कहेगा, वह हम करने के लिए तैयार हैं। चुनाव आयोग पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं है। यह हर दल पर लागू होता है। जो सवाल उठा रहे हैं, उन्हें भी हमारी संवैधानिक संस्थानों पर भरोसा करना चाहिए।

40-50 साल बाद आपकी सरकार ने कश्मीर में राजनीतिक राज्यपाल की नियुक्ति की थी। क्या लगता है कि जम्मू-कश्मीर को राजनीतिक नहीं सेना या प्रशासन से जुड़े राज्यपाल की जरूरत है, जो थोड़ी सख्ती से निपटे?

-जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल होना चाहिए। राजनीतिक हो या कोई भी हो, सूझ-बूझ वाला होना चाहिए। इस समय राज्यपाल बहुत ही सूझ-बूझ वाले हैं। इसके पहले भी सूझ-बूझ वाले ही थे। मैंने कहा आपसे कि जल्द ही वहां शांति होगी।

नागरिकता कानून में संशोधन का प्रयास विफल रहा। अब आगे क्या होगा? घोषणापत्र में इसे शामिल करेंगे या नहीं?

-देखेंगे। जिन लोगों से बात करने की जरूरत होगी, बातचीत करके एक सहमति बनाने की अपनी तरफ से कोशिश करेंगे। बिल पास होना चाहिए, हमलोग चाहते है। इस पर बातचीत कर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। लोगों को विश्वास में लेंगे।

यही हाल तत्काल तीन तलाक का हुआ?

-हां, नहीं हो पाया।

तो तत्काल तीन तलाक इस बार घोषणापत्र में रहेगा?

-अभी तो चुनावी घोषणापत्र पर बात नहीं कर सकते। वह रिलीज होगा।

भाजपा के रुख में बहुत तेजी से बदलाव आया है। एक समय था जब भाजपा कहती थी कि जो हमारा हिस्सा है, हम लेंगे। इसी कारण महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इस बार भाजपा शिवसेना से भी झुकती दिखी। जदयू से भी, ऐसा क्यों?

-हमारे पुराने सहयोगी हैं शिवसेना और जदयू। उनके साथ झुकने का या तनकर खड़े रहने को कोई सवाल नहीं है। कंधे-से-कंधा मिलाकर हम लोग आगे चले हैं। दूसरी बात यह है कि हमारा इतना पुराना सहयोगी है कि उसके साथ कुछ झुकना भी पड़े तो कोई हर्ज नहीं है। मित्रों के सामने थोड़ा झुकना भी पड़े तो उसमें कोई

आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हम संबंध बनाने वाले लोग हैं, संबंध तोड़ने वाले नहीं।

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा बहुत ज्यादा हो रही है। क्या वहां भाजपा के लिए माहौल है?

- भाजपा बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। हिंसा चिंता का विषय है। हमारा प्रतिनिधमंडल भी चुनाव आयोग से मिला है। इस समय चुनाव आयोग जो भी कहेगा, गृह मंत्रालय अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। ताकि वहां लोग निष्पक्ष और निर्भीक होकर चुनाव में भाग ले सकें।

उत्तर प्रदेश में महागठबंधन तो नहीं बन पाया। एक मजबूत गठबंधन है। उससे भाजपा कितनी भयभीत है?

- यह ढीला गठबंधन है। 

लेकिन जातिगत समीकरण पर यह बहुत मजबूत गठबंधन है।

-जातिगत समीकरण चलेगा नहीं। पहले भी नहीं चला है और आगे भी नहीं चलेगा। हम तो जानते थे कि कहने भर को महागठबंधन था। इसे व्यवहारिक रूप दे पाएंगे, यह उस वक्त भी नहीं दिख रहा था।

फिलहाल तो भाजपा को थोड़ा नुकसान होगा?

- लोग जानते हैं कि उन्हें एक सशक्त सरकार चाहिए। निर्णय लेने वाली सरकार चाहिए। देश का आर्थिक विकास करने वाली सरकार चाहिए। इस राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा करने वाली सरकार चाहिए। लोग कमजोर सरकार नहीं चाहते है। ताकतवर सरकार चाहते हैं। क्या किसी से छिपा है कि विपक्ष में एकजुट होने की जो कवायद दिखी थी, वह इसलिए थी कि खुद को बचा सकें। वह कवायद भी अब खत्म हो गई है। वे देश को बचाने के लिए या जनता की भलाई के लिए एकजुट नहीं हो रहे थे।

उनके मिलन की सोच ही स्वार्थ से शुरू हुई थी। वह खत्म भी स्वार्थ पर ही हो रही है। वे सब मोदी विरोध के लिए इकट्ठे हो रहे थे। राजनीति देश के लिए होनी चाहिए, व्यक्ति विरोध के लिए नहीं होनी चाहिए। क्या जनता यह सब नहीं देख और समझ रही है? फिर नुकसान का सवाल कहां खड़ा होता है। मैं बहुत विश्वास के साथ कह रहा हूं कि भाजपा के लिए यह चढ़ाव का वक्त है। हमने भरोसा जीता है अपने काम से, अपनी मंशा से। निष्पक्ष रूप से हर किसी के विकास से। हर किसी को न्याय मिले, इसका प्रयास किया है।

चुनाव जीतने के भाजपा के मंत्र में एक मंत्र है सत्ताविरोधी लहर काटने के लिए सांसदों के टिकट काटना। इस बार कितने सांसदों का पत्ता कटेगा?

- यह तो चुनाव समिति को फैसला करना है। इस संबंध में मैं कुछ नहीं कह सकता। यह बात सच है कि जब भी चुनाव होते हैं तो कुछ नए आते हैं, कुछ पुराने जाते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है।


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