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राजनीतिक सुविधा के लिए किया गया धर्मनिरपेक्षता का इस्तेमाल : केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि देश में अधिकांश समय तक सत्ता सुख भोगने वाले राजनीतिक दलों ने धर्मनिरपेक्षता को अपनी सियासी सुविधा का साधन बनाकर बांटो और राज करो का रास्ता अपनाया।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 01:35 AM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 01:35 AM (IST)
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी । (फोटो- एएनआइ)

नई दिल्ली, प्रेट्र।  केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि देश में अधिकांश समय तक सत्ता सुख भोगने वाले राजनीतिक दलों ने धर्मनिरपेक्षता को अपनी सियासी सुविधा का साधन बनाकर 'बांटो और राज करो' का रास्ता अपनाया। भारतीय बौद्ध संघ द्वारा आयोजित 'सामाजिक समरसता एवं महिला सशक्तीकरण और पंडित दीनदयाल स्मृति सम्मान कार्यक्रम' को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ऐसी तमाम साजिशों के बावजूद भारतीय संस्कृति, संस्कार और संविधान ने किसी भी परिस्थिति में अनेकता में एकता की डोर कमजोर नहीं होने दी।

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अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'समावेशी विकास के रास्ते में कई बाधाएं आईं, लेकिन विविधता में एकता की हमारी ताकत ने देश को समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ना सुनिश्चित किया।' उन्होंने कहा कि लोग आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, लेकिन उन्हें बंटवारे की विभीषिका भी याद रखनी चाहिए। नकवी ने कहा, 'हमें यह याद रखना चाहिए कि बंटवारे की विभीषिका के लिए कौन जिम्मेदार था। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि लोगों ने अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थो के लिए भारत के हितों की बलि देने की साजिश की थी।'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध का आध्यात्मिक मानवतावाद एवं कर्म प्रधान जीवन का सार्थक संदेश आज भी मानवता के लिए सशक्त सीख है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों भाषाएं, धर्म, क्षेत्र, जीवन शैलियां होने के बावजूद भारत अपनी संस्कृति, संस्कार और मजबूत संवैधानिक मूल्यों के कारण एकजुट है। पिछले सात वर्षो में मोदी सरकार ने संवैधानिक मूल्यों के संकल्प के साथ समावेशी सशक्तीकरण के लिए काम किया है। उसने अल्पसंख्यकों समेत समाज के सभी वर्गो का सम्मान के साथ सशक्तिकरण सुनिश्चित किया है।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और जान बारला, भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल और शिक्षा, समाज, संस्कृति, स्वास्थ्य तथा अन्य वर्गो के कई अन्य धाíमक नेता भी इस मौके पर उपस्थित रहे।

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