उमा भारती ने कहा- अब हमारी लड़ाई राम राज्य के लिए है, पीएम मोदी के नेतृत्व में बढ़ेंगे आगे
उमा भारती की भूमिका राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण रही है। दिसंबर 1992 में जब विवादित ढांचा ढहाया गया था वे इसके प्रमुख अभियुक्तों में से एक हैं।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब हम राम मंदिर से रामराज्य की ओर बढ़ेंगे। मैं राम मंदिर की ही तरह राम राज्य के लिए भी जीने-मरने के लिए तैयार रहूंगी। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती ने 'नईदुनिया' के साथ विशेष बातचीत में कही। भारती ने कहा कि हम चुनाव जीते या हारे, लेकिन भगवान राम के चरण कभी नहीं छोड़े क्योंकि भगवान राम हमारे लिए राजनीति का मुद्दा नहीं बल्कि आस्था के केंद्र हैं। अब हमारी लड़ाई राम-राज्य के लिए है। शायद उसी के लिए भारत की राजनीति में नरेंद्र मोदी का अवतरण हुआ है।
विवादित ढांचा ढहाने में अभियुक्त हूं: उमा भारती
गौरतलब है कि उमा भारती की भूमिका राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण रही है। दिसंबर 1992 में जब विवादित ढांचा ढहाया गया था, वे इसके प्रमुख अभियुक्तों में से एक हैं।
पेश है उनसे बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-
सवाल- विवादास्पद ढांचा गिराए जाने का आपको कभी अफसोस हुआ?
जवाब- मुझे इस अभियान में भागीदारी का कोई अफसोस नहीं है। मुझे तो हर सजा मंजूर थी। सीबीआइ की अदालत मंदिर है। कानून हमारा वेद है और उस अदालत की कुर्सी पर बैठे जज भगवान हैं। उनके मुंह से हमारे बारे में जो भी वाणी निकलेगी, उसे मैं शिरोधार्य करूंगी।
सवाल- मुहूर्त को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। क्या यह सही है?
जवाब- मुहूर्त सही है या नहीं, हम वहां होंगे या नहीं। कोरोना के समय में ही क्यों भूमिपूजन हो रहा है। यह बातें सिर्फ इसलिए उठ रही है क्योंकि भारत की राजनीति अब दूसरे बिंदु पर आ रही है और वह है राम राज्य। जहां अमीर और गरीब के बीच अंतर नहीं होगा। सबको दवाई, शिक्षा, रोटी, रोजगार और सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलेगा। रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि मेरा देश ऐसा हो जहां हृदय में संतोष और माथा गर्व से ऊंचा हो।
सवाल- कांग्रेस हमेशा राम मंदिर निर्माण के खिलाफ रही है। अब उसके नेता स्वागत कर रहे हैं। ऐसा बदलाव क्यों आया?
जवाब- अब जब कांग्रेस नष्ट हो चुकी है। समाजवादी पार्टी और वामपंथी विचारधारा के नकली लोग एक-एक वोट के लिए तरस रहे हैं। यह तो लगे हैं कि इस कार्य (राम मंदिर का भूमि पूजन) को शांति से शुरू नहीं होने देना है। किंतु इस देश के लोग उनके मंसूबों को असफल कर देंगे। पांच अगस्त से राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। पांच शताब्दियों तक यह अभियान चला। इसके अंतिम चरण में अशोक सिंघल और लालकृष्ण आडवाणी की अगुआई में इस अभियान में भागीदारी करके मेरे जैसे कई लोग धन्य हो गए।
'1969 में मैं आठ साल की थी तब अयोध्या जी के संतों ने मुझे प्रवचन के लिए बुलाया था, मैं अपनी मां और बड़े भाई के साथ वहां गई। महंत रामदास परमहंस मुझे राम जन्मभूमि दिखाने ले गए। वह राम जन्मभूमि का प्रकरण भी कोर्ट में लड़ रहे थे। मैंने वहां ताला देखा और रामलला के दूर से दर्शन किए। मेरे बाल मन में जो सवाल आए, मैंने महंत जी से पूछे। उन्होंने जो जानकारी दी, उससे लगा-यह तो हिंदू समाज के साथ बेहद अन्याय है'- उमा भारती।