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UGC नियुक्ति की प्रक्रिया में नहीं चलेगा भाई-भतीजावाद, केरल के राज्यपाल ने किया स्पष्ट

Kerala News केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आज स्पष्ट तौर पर कहा है कि जब तक वे हैं तब तक UGC नियुक्ति में किसी तरह का भाई भतीजावाद या पक्षपात नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मेरी किसी से लड़ाई नहीं हैै।

By AgencyEdited By: Monika MinalPublished: Mon, 21 Nov 2022 10:47 AM (IST)Updated: Mon, 21 Nov 2022 10:47 AM (IST)
UGC  नियुक्ति की  प्रक्रिया में नहीं चलेगा भाई-भतीजावाद, केरल के राज्यपाल ने किया स्पष्ट
UGC नियुक्ति की प्रक्रिया में नहीं चलेगा भाई-भतीजावाद या पक्षपात

 तिरुअनंतपुरम, एजेंसी। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने सोमवार को कहा, 'जब तक मैं इस पद पर हूं, नियुक्तियां पसंद व पैरवी के आधार पर न हो, यह सुनिश्चित करना मेरी ड्यूटी है। मैं इस तरह की नियुक्तियों के लिए कभी भी अनुमति नहीं दूंगा। केवल योग्य लोग जो पात्रता पर खरे उतरते हों, उन्हें ही UGC की ओर से नियुक्त किया जाएगा।'  उन्होंने कहा, 'मैं बार-बार कह रहा हूं कि मेरी किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मेरा काम यहां के कानून को बरकरार रखना है। मेरा काम यूनिवर्सिटी को देखना है कि वह कार्यकारी हस्तक्षेप से आजाद रहे।'

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मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर साधा निशाना 

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ( Chief Minister Pinarayi Vijayan) पर निशाना साधते हुए राज्यपाल ने कहा कि यदि उन्हें नहीं पता कि उनके ऑफिस में क्या हो रहा है तो वे अयोग्य हैं। विजयन को लेकर उन्होंने कहा, 'यदि मुख्यमंत्री इस बात से अवगत नहीं है कि उनके ऑफिस का कोई शख्स कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को अपने रिश्तेदार की नियुक्ति को लेकर दवाब डाल रहा है तो इससे उनकी अयोग्य होने का संकेत मिलता है।' 'यदि मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी है तो वे उतने ही दोषी हैं।'

विश्वविद्यालयों को उनकी पुरानी गरिमा लौटाने की कोशिश- गवर्नर 

राज्यपाल ने दिल्ली पहुंचने के एक दिन बाद यह जानकारी दी। यूनिवर्सिटी में छंटनी को लेकर पूछे गए एक सवाल को खारिज करते हुए राज्यपाल ने कहा, 'यह किसी तरह की छंटनी का काम नहीं है। विश्वविद्यालयों की पुरानी गरिमा बहाल होनी चाहिए। इन्हें इस तरह के भाई-भतीजावाद वाले पक्षपात से आजादी मिलनी चाहिए।

पिछले कई महीनों से कार्यशैली के मुद्दे पर गवर्नर और लेफ्ट के बीच विवाद चल रहा है। यह विवाद विशेष तौर पर यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों व कुछ विधेयकों पर हस्ताक्षर को लेकर है। लेफ्ट फ्रंट ने राजभवन तक विशाल रैली का भी आयोजन किया।


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