Move to Jagran APP

गुजरात में चुनाव को दो दिन शेष, लेकिन जमीन पर नहीं दिख रही गर्मी

गुजरात में मतदान के केवल दो दिन बचे हैं। पीएम मोदी अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियों में भी लोग जुट जाते हैं लेकिन जमीन पर चुनावी पारा चढ़ने का नाम नहीं ले रहा।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 08:32 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 08:32 PM (IST)
गुजरात में चुनाव को दो दिन शेष, लेकिन जमीन पर नहीं दिख रही गर्मी
गुजरात में चुनाव को दो दिन शेष, लेकिन जमीन पर नहीं दिख रही गर्मी

सोमनाथ(गुजरात),नीलू रंजन। गुजरात में मतदान के केवल दो दिन बचे हैं। लेकिन चुनावी गर्मी का कहीं नामोनिशान नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियों में भी लोग जुट जाते हैं लेकिन जमीन पर चुनावी पारा चढ़ने का नाम नहीं ले रहा है। ख़ासकर सौराष्ट्र के इलाक़े में, जहा सिर्फ डेढ़ साल पहले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच भीषण भिड़ंत हुई थी वहां मतदाताओं की चुप्पी चौंकानेवाली है।

loksabha election banner

जामनगर के आगे हाईवे के किनारे शाम को कुछ बुजुर्ग बैठे है। पास ही कुछ नौजवान भी कुर्सियों पर बातचीत में मशगूल हैं। चुनाव में वोट किसको देंगे के बारे पूछने पर एक बुजुर्ग कहते हैं कि अभी तक कोई आया नहीं है। आसपास बैठे नौजवानों ने भी सवाल को अनसुना कर दिया। ज्यादा कुरेदने पर यह कहते हुए चर्चा को यह कहते हुए ख़त्म कर दिया कि पंचायत में तय करेंगे कि किसको वोट देना है। राहुल गांधी और कांग्रेस भले ही लगातार हर रैली में 72 हज़ार रूपये सालाना की न्यूनतम आय और 22 लाख नौकरियां देने की बात कर रहे हों, लेकिन युवाओं ने इसे भी चर्चा के लायक़ नहीं समझा। कमोवेश यही स्थिति अहमदाबाद से लेकर सुरेन्द्रनगर, राजकोट, जामनगर, द्वारिका, पोरबंदर से लेकर सोमनाथ तक देखने को मिली।

ठंडे माहौल को समझने के दो सीन काफ़ी हैं। पांच दिन पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी विसावदर में रैली करने पहुंचे, लेकिन कुर्सियां खाली थीं। ज़ाहिर है उन्हें उलटे पैर लौटना पड़ा ।दूसरी तरफ राहुल की महुआ रैली से भी भीड़ नदारद थी।वैसे, ये दोनों किस्से ग्रामीण क्षेत्रों के हैं, जहां अमूमन चुनावी माहौल में भीड़ जुट ही जाती है। शहरों की हालत भी ऐसी ही है। हालात यह है कि उम्मीदवारों की जनसंपर्क सभाओं में भी लोग नहीं आ रहे हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के ख़िलाफ़ मिली बढ़त के बाद से ही गुजरात और ख़ासकर सौराष्ट्र को लेकर कांग्रेस के हौसले बुलंद थे। राहुल गांधी को लगने लगा था कि मोदी के सामने उनके ही घर में चुनौती पेश करना असंभव नहीं है। यही कारण है कांग्रेस चुनाव के ठीक पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी अहमदाबाद में कर अपना मंसूबा जता दिया था। जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे। 12 मार्च को कार्यकारिणी की बैठक के बाद राहुल गांधी ने अहमदाबाद में रोडशो भी किया था। लेकिन उस समय कांग्रेसी नेताओं को अंदाज़ा नहीं था कि चुनाव के वक़्त जनता इस क़दर चुप्पी साध लेगी।

विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र में लंबी छलाग लगाने वाली कांग्रेस के लिए यह चिंता की बात है। कुल 47 विधानसभा सीटों वाले सौराष्ट्र में कांग्रेस ने 28 सीटें जीती थी, जो 2012 के मुक़ाबले 16 ज्यादा है। वही भाजपा की सीटें सिमटकर 30 से 19 रह गई थी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिन मुद्दों को गर्म किया था वह सब लोकसभा चुनाव में ग़ायब हैं।

चुनाव में मुद्दों का अभाव कांग्रेस की तुलना में भाजपा के लिए ज्यादा बड़ा सिरदर्द है। मोदी लहर पर सवार भाजपा ने गुजरात की सभी 26 सीटों पर क़ब्ज़ा कर लिया था। उसके सामने इसे दोहराने की चुनौती है। जबकि कई स्थानों पर भाजपा के पुराने उम्मीदवारों के प्रति व्यक्तिगत नाराज़गी साफ़ देखी जा सकती है। नाराज़गी का यही भाव राज्य की रूपानी सरकार के खि़लाफ़ भी है। भाजपा के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों और ख़ासकर युवाओं का आकर्षण अब भी बरक़रार है।

जूनागढ़ लोकसभा के अंतर्गत आने वाले गांगड़ा गाँव में होटल भागीरथ में बैठे 22 वर्षीय कनिक्ष गोहिल सीधे मोदी को वोट देने की बात करते हैं। कारण पूछने पर कहते हैं कि बस मोदी अच्छे लगते हैं और उनके जैसा कोई नेता नहीं है। मोदी के अलावा हिन्दुत्व का भी मुद्दा कहीं न कहीं काम करता दिख रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.