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ट्रक ओपरेटरों की देशव्‍यापी हड़ताल का चौथा दिन, रोजाना हो रहा करोड़ों का नुकसान

पेट्रो पदार्थों को जीएसटी में शामिल करने, पूरे देश में डीजल का दाम एक समान करने समेत अन्य मांगों को लेकर ट्रांसपोर्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 09:53 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 09:59 AM (IST)
ट्रक ओपरेटरों की देशव्‍यापी हड़ताल का चौथा दिन, रोजाना हो रहा करोड़ों का नुकसान
ट्रक ओपरेटरों की देशव्‍यापी हड़ताल का चौथा दिन, रोजाना हो रहा करोड़ों का नुकसान

नई दिल्‍ली, जेएनएन। ट्रकों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी है। अब इसका असर आम लोगों पर दिखना भी शुरू हो गया है। थोक मंडियों में पहुंच नहीं रहा है, जिसका प्रभाव आम बाजारों पर भी दिख रहा है। ट्रक हड़ताल से करोड़ों का नुकसान बीते तीन दिनों में हो चुका है। ट्रक ऑपरेटर वेलफेयर सोसाइटी ने अपने आंदोलन को धार देना शुरू कर दिया है। अब हड़ताल को पूरी तरह से सफल बनाने के प्रयास हो रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि एक भी ट्रक न चलने पाए। खबरों के मुताबिक, हड़ताल के तीसरे दिन ट्रेड-इंडस्ट्री की सप्लाई पर असर साफ दिखा। ज्यादातर बड़े उद्योग-व्यापार केंद्रों पर बुकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग में 70 फीसद की कमी दर्ज की गई।

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दिल्‍ली में भी दिखा असर
दिल्ली के बाजारों में सोमवार से ट्रकों की हड़ताल का असर दिखा। हालांकि, कुछ बाजारों के कारोबार में 40 फीसद तक की गिरावट आई है तो दूसरे राज्यों से आने वाले ग्राहकों की संख्या भी घट गई है। कुछ ट्रांसपोर्टर बुकिंग ले रहे हैं, लेकिन वह मनमाना किराया वसूल रहे हैं। पुरानी दिल्ली के कुछ बाजार इससे ज्यादा प्रभावित है, क्योंकि यहां के थोक बाजारों का कारोबार पूरे देश में फैला हुआ है। दिल्ली में करीब 60 हजार ट्रकों के पहिए थम गए हैं।

दो गुना अधिक किराया वसूल रहे कुछ ट्रांसपोर्टर

वैसे, कुछ ट्रांसपोर्टर अब भी बुकिंग ले रहे हैं। इनमें पंजाब और हरियाणा की बुकिंग ज्यादा है, लेकिन इसके लिए ट्रांसपोर्टर डेढ़ से दो गुना अधिक किराया वसूल रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व उत्तर प्रदेश की बुकिंग बंद है। ऑटोमोटिव पा‌र्ट्स मर्चेंट एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष विनय नारंग के मुताबिक, दो दिनों में ही बिक्री में 40 फीसद तक की गिरावट आई है। वहीं, ट्रांसपोर्टरों द्वारा बुकिंग न लेने से ई-वे बिल भी नहीं बनाया जा रहा है।

प्रतिदिन 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपॉर्ट कांग्रेस का दावा है कि हड़ताल से ट्रेड-इंडस्ट्री को सभी तरह के ट्रांजैक्शंस जोड़कर रोजाना 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिसमें करीब 4,000 करोड़ रुपये की चपत अकेले ट्रांसपॉर्ट सेक्टर को लग रही है। बीते दो दिन वीकेंड होने के चलते हड़ताल का वास्तविक असर आज यानि सोमवार से दिखने के आसार हैं, वहीं दूसरी ओर हड़तालियों और सरकार के बीच फिलहाल किसी तरह की सहमति बनती नहीं दिख रही है, ऐसे में हड़ताल के लंबा खिंचने का डर भी जताया जा रहा है।

ये हैं ट्रांसपोर्ट सेक्‍टर की मांग
पेट्रो पदार्थों को जीएसटी में शामिल करने, पूरे देश में डीजल का दाम एक समान करने समेत अन्य मांगों को लेकर ट्रांसपोर्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। ये हड़ताल शुक्रवार यानि 20 जुलाई को शुरू हुई थी। लेकिन हड़ताल के जल्द खत्म होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं। इस बारे में दिल्ली गुड्स टांसपो‌र्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर के मुताबिक, अभी केंद्र सरकार की ओर से बातचीत की कोई पहल नहीं हुई है। ऐसे में हड़ताल लंबी चल सकती है।


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