तेलंगाना में टीआरएस का दांव सफल, केसीआर दूसरी बार कल लेंगे सीएम पद की शपथ
सत्तारुढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) मजबूत स्थिति में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। केसीआर कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
हैदराबाद(एएनआइ)। तेलंगाना में करीब आठ महीने पहले विधानसभा भंग कर समय पूर्व चुनाव कराने का मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का दांव बिलकुल सटीक बैठा। सत्तारुढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) मजबूत स्थिति में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। केसीआर कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
मंगलवार को घोषित चुनाव परिणामों में 119 सदस्यीय विधानसभा में टीआरएस को 88 सीटें मिली है। जबकि कांग्रेस नीत गठबंधन को 19 तथा भाजपा एक सीट पर सिमट गई है। अन्य के खाते में 11 सीटें हैं। इनमें हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी- एआईएमआईएम, जिसे केसीआर 'मित्र दल' बताते हैं, ने सात सीटों पर जीत दर्ज की।
हालांकि पिछले चुनाव में टीआरएस को 63 सीटें मिली थीं, जो बाद में दल-बदल कर तेदेपा तथा कांग्रेस से आए विधायकों से उसके 90 विधायक हो गए थे।
केसीआर की बेटी बोलीं- जीत में कभी शक नहीं था
केसीआर की बेटी तथा लोकसभा सदस्य के. कविता राव ने कहा कि इस बात में कभी शक ही नहीं था कि पार्टी प्रचंड बहुमत से सत्ता में लौटेगी। टीआरएस के साथ सत्ता विरोधी लहर जैसी कोई बात नहीं थी, क्योंकि सरकार ने पिछले करीब साढ़े चार सालों में सभी मोर्चो पर अच्छा काम किया है। तेलंगाना के लोगों ने केसीआर के कठिन परिश्रम का फल दिया है।
केसीआर का 1985 से कोई चुनाव नहीं हारने का रिकॉर्ड कायम
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव का 1985 से कोई चुनाव नहीं हारने का रिकॉर्ड कायम रहा है। इस बार वह गजवेल सीट पर फिर से निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के वी. प्रताप रेड्डी को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। साल 2014 में भी उन्होंने इस सीट पर प्रताप रेड्डी को 19,391 वोटों से हराया था, जो उस समय टीडीपी से प्रत्याशी थे।
64 वर्षीय राव ने इसके पहले अविभाजित आंध्र प्रदेश के सिद्दिपेट विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। वह इस सीट पर 1985 से लगातार छह बार जीते थे। उनकी एकमात्र चुनावी हार 1983 में हुई थी, जब वह पहली बार इसी सीट पर टीडीपी से लड़े थे।