तीन तलाक अब गैर जमानती अपराध, जानिए- अध्यादेश में क्या है खास
तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसके बारे में जानकारी दी।
नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को बड़ा फैसला लेते हुए तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अध्यादेश में तीन तलाक को गैर जमानती अपराध माना गया है। राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पास ना होने के बाद सरकार को अध्यादेश का रास्ता अपनाना पड़ा। हालांकि सरकार के पास अब छह महीने का समय है। इन छह महीनों में इसे संसद से पारित कराना होगा।
तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसके बारे में जानकारी दी। रविशंकर ने कहा 'भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष मुल्क में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ नाइंसाफी हो रही थी। तीन तलाक का यह मुद्दा नारी न्याय और नारी गरिमा का मुद्दा है।
आइये आपको कुछ बिंदुओं में बताते हैं कि इस अध्यादेश में क्या खास बातें हैं।
अध्यादेश में क्या है खास
- यह अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब महिला या उसके परिजन खुद इसकी शिकायत करेंगे।
- खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी एफआईआर दर्ज करने का अधिकार
- पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है।
- जब पीड़िता चाहेगी तभी समझौता होगा। पीड़िता की सहमति से ही मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है
- तीन तलाक पर कानून में छोटे बच्चों की कस्टडी मां को दिए जाने का प्रावधान है।
- पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण का अधिकार मजिस्ट्रेट को तयह करना होगा। और ये पति को देना होगा।
गौरतलब है कि विपक्ष की मांग के बाद मोदी सरकार ने इस बिल में तीन संशोधन किए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से दिए भाषण में तीन तलाक का जिक्र किया था। मोदी ने कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है। तीन तलाक ने कई महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को बताया था गैरकानूनी
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था।सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए।