अगली नीलामी में 4जी स्पेक्ट्रम की कीमत 42 फीसद कम करने का सुझाव
ट्राई ने पूरे भारत के लिए 2जी वाले 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड का बेस प्राइस 3,285 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखने का सुझाव दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई ने अगली स्पेक्ट्रम नीलामी में 4जी सेवाओं के लिए प्रयुक्त होने वाले 700 मेगा हर्ट्ज बैंड की न्यूनतम कीमत को 42 फीसद कम करने का सुझाव दिया है। इसी प्रकार प्रस्तावित 5जी मोबाइल सेवाओं के लिए आवश्यक 3300-3600 मेगा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड के बारे में ट्राई का कहना है कि इसकी कीमत 1800 मेगा हर्ट्ज बैंड के मुकाबले 30 फीसद कम रखी जानी चाहिए। नियामक ने किसी कंपनी को 100 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम देने से मना करते हुए सरकार को इस बार बाकी बचा सारा स्पेक्ट्रम बेचने को कहा है।
ट्राई ने बुधवार को अगली नीलामी के बारे में शर्तो और मूल्यों पर अपने सुझाव सार्वजनिक किए। इनके मुताबिक किसी स्पेक्ट्रम का बेस मूल्य लाइसेंस एरिया में स्पेक्ट्रम बैंड के औसत मूल्य अथवा अक्टूबर, 2016 की नीलामी में प्राप्त मूल्य के अस्सी फीसद से अधिक होना चाहिए।
ट्राई ने पूरे भारत के लिए 2जी वाले 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड का बेस प्राइस 3,285 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखने का सुझाव दिया है। जबकि 4जी वाले 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के बारे में उसका कहना है कि इसका रिजर्व प्राइस 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के मुकाबले दो गुना होना चाहिए। इसे माना गया तो 700 मेगाहर्ट्ज बैंड की कीमत इस बार 42 फीसद घटकर 6,568 करोड़ रुपये रह जाएगी।
2016 में हुई पिछली नीलामी में 700 स्पेक्ट्रम बैंड का रिजर्व प्राइस 11,485 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखा गया था। यह 1800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की कीमत से चार गुना थी। यही वजह थी कि उस नीलामी में 700 बैंड का कोई खरीदार सामने नहीं आया था। ट्राई ने उन टेलीकॉम सर्किलों में स्पेक्ट्रम की कीमत कम रखे जाने का सुझाव भी दिया है जिनके लिए पिछली नीलामी में कोई खरीदार नहीं मिला था।
प्रस्तावित 5जी स्पेक्ट्रम (3300-3600 मेगाहर्त्ज) की नीलामी के बारे में भी ट्राई ने अपने सुझाव दिए हैं। उसका कहना है कि 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड की न्यूनतम कीमत 1800 मेगाहर्त्ज एफडीडी बैंड के मुकाबले 30 प्रतिशत होनी चाहिए। यही नहीं, 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी 20 मेगा हर्ट्ज के ब्लॉक में करना ठीक रहेगा। कोई कंपनी किसी बैंड पर एकाधिकार न करने पाए, इसके लिए प्रत्येक बोलीदाता पर अधिकतम 100 मेगाहर्ट्ज खरीदने की सीमाबंदी होनी चाहिए। चूंकि टेलीकॉम कंपनियों को फालतू स्पेक्ट्रम बेचने की छूट होती है। लिहाजा यही सीमाबंदी 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड की ट्रेडिंग पर भी लागू होनी चाहिए। सरकार ने अभी तक अगली स्पेक्ट्रम नीलामी की तिथि घोषित नहीं की है।