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सुप्रीम कोर्ट में TMC सांसद महुआ मोइत्रा, Citizenship Amendment Act की वैधता पर उठाया ये सवाल

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने Citizenship Amendment Act की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 11:24 AM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 01:46 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में TMC सांसद महुआ मोइत्रा, Citizenship Amendment Act की वैधता पर उठाया ये सवाल
सुप्रीम कोर्ट में TMC सांसद महुआ मोइत्रा, Citizenship Amendment Act की वैधता पर उठाया ये सवाल

नई दिल्‍ली, एएनआइ। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्‍होंने कोर्ट में याचिका दायर कर नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया और याचिका दायर की है। हालांकि चीफ जस्टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने इस मामले पर आज त्‍वरित सुनवाई से इंकार कर दिया। उन्‍होंने वकील से इस मामले को मेंशन (Mention) करने के लिए कहा। बता दें कि इस कानून को राष्‍ट्रपति (President) की मंजूरी गुरुवार रात दे दी गई। 

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गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता

संसद में इस कानून को पारित कर दिया गया और 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के गैर मुस्लिम शरणार्थियों (Non Muslim Migrants) को नाग‍रिकता देने की पेशकश पर मुहर लग गई।

संविधान के आर्टिकल 14 का उल्‍लंघन

कृष्‍णानगर से सांसद महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि इस कानून में मुस्‍लिमों को बाहर रखने की बात भेदभाव प्रदर्शित करता है और इसलिए यह संविधान (Constitution) के आर्टिकल 14 का उल्‍लंघन करता है। यह कानून सेक्‍यूलरिज्‍म (Secularism) का भी उल्‍लंघन करता है जो हमारे संविधान के आधार का हिस्‍सा है।

मुस्लिम समुदाय से भेदभाव का आरोप

इस तरह की एक और याचिका संयुक्‍त रूप से वकील एहतेशाम हाशमी, पत्रकार जिया उस सलाम और, कानून के छात्र मुनीब अहमद खान, अपूर्वा जैन और आदिल तालिब ने उठाया है। इनका आरोप है कि इसका मकसद मुस्लिम समुदाय से भेदभाव है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ओर इसके चार सांसदों ने इस कानून के खिलाफ कल ही याचिका दायर कर थी लेकिन तब तक इसे राष्‍ट्रपति की मंजूरी भी नहीं मिली थी। जन अधिकार पार्टी के जनरल सेक्रेटरी फैज अहमद ने भी इस कानून के खिलाफ शुक्रवार को याचिका दायर की।

उल्‍लेखनीय है कि इस कानून के कारण असम में वृहत पैमाने पर विरोध किया जा रहा है। क्षेत्र में स्‍थानीय लोगों का प्रदर्शन देखते हुए आर्मी सक्रिय है। यहां इंटरनेट पर भी पाबंदी लगी है।


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