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उपचुनाव में मिली जीत के बाद टीएमसी का दावा, हक में रहा एनआरसी विरोध और बंगाली गौरव का मुद्दा

टीएमसी के नेताओं ने कहा कि हमने एनआरसी अभियान छेड़ा और लगातार बंगाली गौरव की बात करते रहे जबकि उपहास उड़ाने वालों पर हमलावर रहे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 11:31 PM (IST)
उपचुनाव में मिली जीत के बाद टीएमसी का दावा, हक में रहा एनआरसी विरोध और बंगाली गौरव का मुद्दा
उपचुनाव में मिली जीत के बाद टीएमसी का दावा, हक में रहा एनआरसी विरोध और बंगाली गौरव का मुद्दा

कोलकाता, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद तीन विधानसभा सीटों का फैसला बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पक्ष में रहा है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जो बड़ा झटका लगा था, उससे उबरने में एनआरसी विरोधी अभियान और लगातार 'बंगाली गौरव' की बात करना पार्टी के हक में रहा है और उपचुनाव में जनादेश तृणमूल के समर्थन में मिला है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि हमें लोकसभा चुनाव में अस्थाई तौर पर झटका लगा था। इसके बाद हमने एनआरसी अभियान छेड़ा और लगातार बंगाली गौरव की बात करते रहे जबकि उपहास उड़ाने वालों पर हमलावर रहे।

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तीन विधानसभा सीटों पर टीएमसी को मिली जीत

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को तीन महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों करीमपुर, कालियागंज और खड़गपुर सदर में तृणमूल को जीत मिली है। इस जीत को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पार्टी ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी, भाजपा से लोकसभा चुनाव में पिछड़ने के बाद राज्य में अपनी राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किया।

लोकसभा चुनाव में केवल 22 सीटों पर मिली थी जीत

बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की थी जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी को अपने ही गढ़ में महज 22 सीटों पर जीत मिली थी। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा है कि हमने इस फैसले के लिए जून से कड़ी मेहनत शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने संसदीय चुनावों के बाद भाजपा से हारने वाली सभी सात नगरपालिकाओं पर दोबारा कब्जा जमा लिया है।

मंत्री ने दावा किया कि जन जागरूकता अभियान को पुनर्जीवित करने के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को भी पार्टी के पक्ष में काम में लगाया गया था।

वहीं, तृणमूल के एक सांसद ने कहा कि एनआरसी अभियान और बंगाली गौरव के मुद्दे ने हमें अपना खोया हुआ मैदान वापस पाने में मदद की। किशोर के दीदी के बोलो अभियान ने भी काफी मदद की। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र द्वारा हिंदी थोपने का विरोध किया और बंगाली गौरव को बढ़ावा देने की बात की। सांसद ने कहा कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने लगातार यह कहा कि हमें अन्य भाषा तो सीखना चाहिए लेकिन बंगाली को बढ़ावा देना होगा। इतना ही नहीं उन्होंने जेईई मेन्स परीक्षा में बांग्ला भाषा को शामिल करने की भी मांग रखी।


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