भाजपा-संघ की पहली समन्वय बैठक में हावी रहेगा तीन राज्यों के चुनाव, कश्मीर और एनआरसी
पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले ये अल्पसंख्यक धार्मिक आधार पर वहां प्रताडि़त होने के बाद ही आते हैं और ऐसे में भारत को उन्हें अपनाना ही चाहिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार-2 और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली समन्वय बैठक में तीन राज्यों के चुनाव के साथ-साथ कश्मीर और एनआरसी हावी रहेगा। माना जा रहा शनिवार से राजस्थान के पुष्कर में होने वाली तीन दिवसीय बैठक में सिटीजनशिप विधेयक पर भी चर्चा होगी और सरकार से आग्रह किया जाएगा कि उसे जल्द से जल्द संसद से पारित कराया जाए।
पहली औपचारिक बैठक
कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पहली औपचारिक बैठक में यूं तो जश्न का ही माहौल होगा, लेकिन जिस तरह असम में एनआरसी की सूची आई है और बड़ी संख्या में 1971 से पहले आए हिंदू भी बाहर हुए हैं, उसे लेकर चिंता है। भाजपा की ओर से पहले ही यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी और बांग्लादेश से सटे क्षेत्रों में कम से कम 20 फीसद की समीक्षा की मांग करेगी।
एनआरसी का समाधान निकालना चाहिए
संघ का मानना है कि सिटीजनशिप बिल को पारित कराकर इसका समाधान निकालना चाहिए कि पड़ोसी मुल्कों से जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई भारत आते हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी। पिछली मोदी सरकार के दौरान इसे लोकसभा से पारित कराया गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था।
सिटीजनशिप बिल पारित होने से एनआरसी में फंसे हिंदुओं को मिलेगी राहत
सरकार का साफ मानना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले ये अल्पसंख्यक धार्मिक आधार पर वहां प्रताडि़त होने के बाद ही आते हैं और ऐसे में भारत को उन्हें अपनाना ही चाहिए। जाहिर है कि अगर यह विधेयक पारित होता है तो असम एनआरसी में फंसे लाखों हिंदुओं की नागरिकता बरकरार रहेगी।
चुनावों पर चर्चा होगी
बताते हैं कि बैठक में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के आगामी चुनावों की तैयारियों को लेकर भी चर्चा होगी। ध्यान रहे कि इन तीनों राज्यों में संघ की अच्छी पकड़ है। झारखंड में खासतौर से आदिवासियों के बीच संघ की मदद ली जाएगी। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा व कुछ केंद्रीय मंत्री हिस्सा ले सकते हैं।