Pulwama Terror Attack: पाकिस्तान के खिलाफ भारत उठा सकता है ये 5 कदम
पुलवामा में आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद भारत पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठा सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। पुलवामा में आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद भारत पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठा सकता है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लश्कर, जैश, तहरीक-ए-तालिबान ऑफ पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठनों पर दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है क्योंकि ये आतंकवादी संगठन दुनिया भर की शांति के लिए खतरा बने हुए हैं।
जैसे अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ओसाबा बिन लादेन को मारा था, ठीक वैसे ही कार्रवाई पाकिस्तान की धरती पर घुसकर जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकियों के खिलाफ की जा सकती है। पाकिस्तान ने जिस आतंकी ढांचे को खड़ा किया है, उसे खत्म करने के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किया बल्कि उसे पाल पोस रहा है। यह संगठन खुद उसके लिए और पड़ोसी देशों के लिए खतरा बने हुए हैं। भारत के लिए पाकिस्तान से युद्ध अंतिम विकल्प होगा लेकिन अब हमें इजराइल की तरह मुंहतोड़ जवाब देना होगा, तभी आतंकवाद परस्त पाकिस्तान के हौसले पस्त होंगे।
पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक दबाव
हमले के बाद अन्य देशों के जरिए पाकिस्तान के खिलाफ दबाव बनाना होगा। जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वित्तीय सहायता बंद करने के लिए दबाव बनाया है, ठीक ऐसे ही अन्य देशों जैसे चीन और खाड़ी के देशों के जरिए कूटनीतिक दबाव बनाना होगा। इसके तहत विेदश मंत्रालय के अधिकारी P-5 अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस के उच्चाधिकारियों से मिलेंगे और पाकिस्तान के खिलाफ दबाव बनाएंगे।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुर्इ कैबिनेट की बैठक में इस बात को दोहराया गया कि पाकिस्तान को दुनिया के अन्य देशों से अलग-थलग करना होगा, तभी वह आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कदम उठाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विदेश मंत्रालय हरसंभव कूटनीतिक कदम उठाएगा, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग किया जा सके।
इसके लिए मौजूद साक्ष्यों को सामने रखा जाएगा। कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया गया कि पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN)का दर्जा समाप्त कर दिया गया है। भारत ने पाकिस्तान को 1999 में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था।
कश्मीर में पाकिस्तान के समर्थकों पर रोक लगाई जाए
जिस प्रकार कश्मीर में सेना ऑपरेशन ऑलआउट चला रखा है, उसके बाद आतंकवादी संगठनों में खलबली मची है। इसके साथ ही कश्मीर में आतंकवादियों के समर्थकों में भी कड़ी कार्रवाई का अंदेशा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीरी अलगाववादियों को कुछ ज़्यादा ही छूट दी जा रही है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। अभी कुछ समय पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने कश्मीर के दो अलगाववादियों से बात की थी। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। ऐसे लोगों की सुरक्षा को वापस ली जाए और अन्य देशों से मिल रही वित्तीय सहायता पर प्रतिबंध लगाया जाए।
सिंधु जल संधि को तोड़ना
भारत अंदरुनी तौर पर पाकिस्तान को कमजोर करने के लिए कड़े कदम उठा सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश सचिव रहे कंवल सिब्बल का कहना है कि भारत के पास एक बहुत ही असरदार विकल्प है और वो है सिंधु जल संधि को तोड़ना। मुझे समझ में नहीं आता कि इस संधि को सरकार क्यों नहीं तोड़ रही है। इस संधि को तत्काल निलंबित करना चाहिए। ऐसा होते ही पाकिस्तान सीधा हो जाएगा।
जैसे कहा जाता है कि पाकिस्तानी आतंकवाद का भारत के पास कोई जवाब नहीं है, वैसे ही पाकिस्तान के पास सिंधु जल संधि तोड़ने का कोई जवाब नहीं है। सिब्बल मानते हैं कि इस संधि को तोड़ने से भारत पर असर नहीं होगा। उनका कहना है कि एक बार भारत अगर इस संधि को तोड़ देता है तो पाकिस्तान को अहसास हो जाएगा।
अलग गिलगित व पाक अधिकृत कश्मीर और ब्लूचिस्तान का समर्थन
भारत को जैसे को तैसा की नीति पर चलना होगा। जब से पाकिस्तान की स्थापना हुई है, वह अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा भारत विरोधी रूख अख्तियार किए हुए है। जिस प्रकार में 1971 में भारत ने पूर्वी पाकिस्तान का समर्थन किया था, ठीक वैसे ही भारत को अब पाकिस्तान सरकार के गिलगित व पाक अधिकृत कश्मीर और ब्लूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग कर रहे लोगों के समर्थन में खुलकर सामने आना होगा, तभी पाकिस्तान दुरुस्त होगा।