आतंकी माड्यूल के खुलासे ने फिर साबित किया मानिटरिंग व इंटरसेप्शन की जरूरत
अरुण जेटली ने भी ट्वीट कर बताया कि मानिटरिंग और इंटरसेप्शन के अधिकार के बगैर एनआइए का यह आपरेशन संभव नहीं था।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। विपक्ष भले ही कंप्यूटर मानिटरिंग और इंटरसेप्शन पर नए नोटिफिकेशन का विरोध कर रहा हो, लेकिन आइएसआइएस के नए माड्यूल के पर्दाफाश ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नए सिरे से इसकी अहमियत साबित कर दिया है। एनआइए लंबे समय से इस माड्यूल के मैसेजिंग एप पर गतिविधियों पर नजर रख रहा था और किसी वारदात को अंजाम देने के पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी ट्वीट कर बताया कि मानिटरिंग और इंटरसेप्शन के अधिकार के बगैर एनआइए का यह आपरेशन संभव नहीं था।
एनआइए के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस माड्यूल के बारे में जानकारी के मिलने के तत्काल बाद उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी। खासतौर पर व्हाट्सएप और टेलीग्राम की मदद से माड्यूल के सदस्यों के बीच हो रही बातचीत पर एनआइए के अधिकारियों की भी नजर थी। जैसे ही एनआइए के लगा कि यह माड्यूल एक किसी भी समय आतंकी हमला करने के तैयार है, छापा मारकर उसके सदस्यों के गिरफ्तार कर लिया गया। सूत्रों के अनुसार इसमें व्हाट्सएप और टेलीग्राम ने सहयोग सराहनीय रहा।
एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए आनलाइन मानिटरिंग और इंटरसेप्शन काफी कारगर रहा है। 2009 में एनआइए के गठन के बाद से इसे किया जाता रहा है। उनके अनुसार गृहमंत्रालय के ताजा नोटिफिकेशन से उनके कामकाज पर कोई फर्क नहीं पड़ा है और वे पहले की तरह ही आतंकवाद के मामलों में गृह सचिव की अनुमति से संदिग्ध लोगों का आनलाइन मानिटरिंग और इंटरसेप्शन करते रहे हैं।
गौरतलब है कि संप्रग सरकार के दौरान 2009 में कंप्यूटर मानिटरिंग और इंटरसेप्शन का कानून बनाया गया था और 2011 में इसके लिए एसओएस जारी किया गया था। गृहमंत्रालय का कहना है कि ताजा नोटिफिकेशन में कंप्यूटर मानिटरिंग और इंटरसेप्शन को नियमित करने की कोशिश की गई है। इसके लिए केवल 10 एजेंसियों को ही नामित कर दिया गया है। इनके अलावा कोई अन्य एजेंसी मानिटरिंग या इंटरसेप्शन नहीं कर सकती है। यही नहीं, इन 10 एजेंसियों को भी इसके लिए पहले गृह सचिव से अनुमति लेना होगा।