चुनावी रेवड़ियां बांटने के वादे न्यायिक समीक्षा के दायरे में होंगे- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र चुनाव आयोग व पांच राज्यों को जारी किया नोटिस।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले और चुनाव के दौरान सीधे धन हस्तांतरित करने और मुफ्त सुविधाएं देने की घोषणा करने पर प्रतिबंध के लिए दायर याचिका पर मंगलवार को केंद्र, चुनाव आयोग और पांच राज्यों को नोटिस जारी किए।
जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने पेंटापति पुल्ला राव की याचिका पर ये नोटिस जारी किए। राव ने हालिया लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश की एलुरू सीट से जनसेना पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था।
याचिका में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना और आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों द्वारा घोषित अन्य कार्यक्रमों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि इन घोषणाओं की वजह से केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ दलों को लोकसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ प्राप्त करने में मदद मिली।
पीठ ने इस तरह की घोषणाओं के बारे में दिशानिर्देश तैयार करने के अनुरोध पर विचार करने का निर्णय किया है। राव की ओर से अधिवक्ता संतोष पाल और श्रवण कुमार ने दलील दी कि चुनाव से पहले सीधे नकदी हस्तांतरित करने की योजनाएं और मुफ्त सुविधाएं प्रदान करने जैसी घोषणा चुनावी कदाचार के दायरे में आती हैं।
याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए जाएं कि स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकने वाले ऐसे कार्यक्रमों को सत्तारूढ़ दल चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कम से कम छह महीने पहले लागू करने की अवधि निर्धारित करें। पेशे से अर्थशास्त्री राव ने कहा कि ऐसी सभी योजनाओं को असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 112 और 202 के खिलाफ घोषित किया जाए।