रंग दिखा रही मोदी सरकार की रणनीति, गरीबी मुक्त गांव की कल्पना होगी साकार
रोजी रोटी के साधन मुहैया कराने और उनकी जेब में पैसा पहुंचाने के साथ सरकार उनके दुख-सुख की भागी होने का अहसास दिलाने लगी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। ग्रामीण गरीबों को गरीबी से उबारने की सरकारी रणनीति ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। रोजी रोटी के साधन मुहैया कराने और उनकी जेब में पैसा पहुंचाने के साथ सरकार उनके दुख-सुख की भागी होने का अहसास दिलाने लगी है। ग्रामीण गरीबों को मिले इस भरोसे ने उन्हे सूदखोरों के चंगुल से बचा लिया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती को लाभ का सौदा बनाने में जुटी सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है। गांव के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के लिए मनरेगा किसी वरदान से कम नहीं है। योजना महिला सशक्तिकरण की पर्याय बन चुकी है। ग्रामीण युवा उद्यमियों को उनके गांव व कस्बे में ही रोजगार मुहैया कराने के लिए 13 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना में रियायती दर पर ऋण मुहैया कराए गए हैं।
ग्रामीण बेरोजगारों को उनके गांव में ही रोजगार देने वाली मनरेगा के मार्फत सरकार सालाना लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। योजना से सालाना साढ़े चार करोड़ ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिलता है। उन्हें खेती के बाद बचे समय के लिए कहीं कमाने के लिए शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ता है। योजना के तहत मजदूरों की दिहाड़ी पौने दो सौ रुपये मिल जाती है। इनमें भी 52 फीसद से अधिक महिला मजदूर मनरेगा में काम करती है। घर बैठी महिलाओं के हाथ में पैसा आने से उनका सशक्तीकरण हुआ है। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों की भागीदारी लगभग 40 फीसद है।गरीब तबके के लोगों के लिए यह अंतिम नहीं बल्कि मजबूत वित्तीय सहारा बन चुकी है।
ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत निर्धन परिवारों के युवाओं को रोजगार परक कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि उन्हें नौकरी दिलाई जा सके। देश के 28 राज्यों में यह योजना चलाई जा रही है। ग्रामीण स्टार्ट अप योजना में 17 राज्यों में 7800 उद्यम लगाये जा चुके हैं। चालू वित्त वर्ष में भी 25 हजार से अधिक युवाओं को प्रोत्साहन दिये जाने की योजना प्रस्तावित है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं नित नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। दक्षिण भारत के मुकाबले उत्तरी क्षेत्रों में मिशन की रफ्तार धीमी है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन महिला स्वयं सहायता समूहों से सीधी बात करते हैं।
गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार देकर और स्वरोजगार के योग्य बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाने की दिशा में सरकार ने कई और प्रयास किए हैं। इनमें स्टेट और नेशनल हाईवे के किनारे पेड़ लगाकर आमदनी बढ़ाने की योजना है। खेती से जुड़े विभिन्न उद्यमों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की कई योजनाएं है। गांव से गुजरती रेल लाइनों पर बने फाटकों की देखरेख के लिए अब स्थानीय लोगों को ही रोजगार देने का फैसला लिया है। ग्रामीणोन्मुख उद्यमों को प्रोत्साहित करने और वहां के लोगों को संपन्न बनाकर गांवों को खुशहाल करने का सपना कब साकार होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन प्रयास जारी है।