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जावड़ेकर ने लगाया अटकलों पर विराम, बोले- किसी भाषा को अनिवार्य बनाने की सिफारिश नहीं

वर्तमान में कई गैर-हिंदी भाषी राज्यों के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य नहीं है, जैसे कि तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल और असम।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 12:27 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 12:27 PM (IST)
जावड़ेकर ने लगाया अटकलों पर विराम, बोले- किसी भाषा को अनिवार्य बनाने की सिफारिश नहीं

नई दिल्ली, जेएनएन। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ कर दिया है कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उसने किसी भी भाषा को अनिवार्य बनाने की सिफारिश नहीं की है। ऐसी खबर थी कि देश के स्कूलों में आठवीं कक्षा तक हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर बीते महीने एक कमेटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ड्राफ्ट तैयार कर दे दिया था।

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लोकसभा चुनाव के मुद्देनजर राजनीतिक पार्टियां कोई भी मुद्दा हाथ से नहीं जाने दे रही हैं। ऐसे में इस खबर के सामने आते ही देश में राजनीति तेज होने लगी। हालांकि ये खबर सूत्रों के हवाले दी गई थी, जो तेजी से सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगी। ऐसे में प्रकाश जावड़ेकर को सामने आकर इस मुद्दे पर स्थिति को साफ करना पड़ा। उन्‍होंने ट्वीट किया, 'देखिए, नई शिक्षा नीति बनाने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उन्होंने अपनी अनुशंसा दे दी है और उसमें किसी भी भाषा को अनिवार्य बनाने की सिफारिश नहीं की गई है। मीडिया के एक वर्ग में शरारती और भ्रामक रिपोर्ट को देखते हुए यह स्पष्टीकरण जरूरी हो गया है।'

गौरतलब है कि 9 सदस्यों की कस्तूरीरंगन समिति ने कुछ प्रमुख अनुशंसा इस मामले में सरकार से की थी, जिसे नई शिक्षा नीति का नाम दिया गया था और इसका मुख्य मकसद भारत केंद्रित वैज्ञानिक तरीके से स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देना था। सूत्रों के मुताबिक, यह दावा किया गया था कि यह कमेटी 31 दिसंबर 2018 से पहले ही सरकार को सौंप दी थी।

वैसे बता दें कि वर्तमान में कई गैर-हिंदी भाषी राज्यों के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य नहीं है, जैसे कि तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल और असम। लेकिन खबरों के मुताबिक, इन राज्‍यों में 8वीं तक हिंदी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन अब जावड़ेकर ने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है।


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