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शिलांग के पंजाबी लेन इलाके में लोगों को नोटिस, वैध तरीके से बसने के दस्‍तावेज मांगे

शिलांग के सिख बहुल पंजाबी लेन इलाके में रहने वाले लोगों को राज्‍य प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया गया है। अधिकारियों ने लोगों से वैध तरीके से बसने के दस्‍तावेज मांगे हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 02:15 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 03:16 PM (IST)
शिलांग के पंजाबी लेन इलाके में लोगों को नोटिस, वैध तरीके से बसने के दस्‍तावेज मांगे
शिलांग के पंजाबी लेन इलाके में लोगों को नोटिस, वैध तरीके से बसने के दस्‍तावेज मांगे

शिलांग, पीटीआइ। शिलांग के पंजाबी लेन इलाके में रहने वाले लोगों को सरकारी अधिकारियों ने नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने लोगों को उन दस्‍तावेजों को प्रस्‍तुत करने का निर्देश दिया है, जिससे यह साबित हो कि वे पंजाबी लेन इलाके में वैध तरीके से बसे थे। बता दें कि पंजाबी लेन इलाके में काफी संख्‍या में पंजाब के लोगों के आवास हैं। लगभग 200 साल पहले पंजाब के इन लोगों को अंग्रेजों द्वारा बसाया गया था।

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अंग्रेज इन लोगों को सफाईकर्मी के तौर पर काम करने के लिए 200 साल पहले शिलांग ले गए थे। पिछले साल मई महीने में सिख समुदाय के लोगों का एक ट्रांसपोर्ट सर्विस के कर्मचारियों से झगड़ा हो गया था। सोशल मीडिया पर ट्रांसपोर्ट सर्विस से जुड़े एक व्यक्ति की मौत होने की खबर फैलते ही सिखों व खासी समुदाय के बीच हिंसा भड़क गई थी। इलाके में कर्फ्यू के साथ अर्धसैनिक बलों की 15 से अधिक टुकड़ियां तैनात करनी पड़ी थीं।

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, राज्‍य सरकार की एक उच्‍च स्‍तरीय समिति (High Level Committee) के निर्देश पर शिलांग नगरपालिका बोर्ड (Shillong Municipal Board, SMB) ने शुक्रवार को यहां रहने वाले सिख समुदाय के लोगों को नोटिस जारी किया। पूर्वी खासी हिल्स जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नोटिस से पहले धारा-144 सीआरपीसी के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई क्‍योंकि ऐसी सूचनाएं थीं कि पंजाबी लेन में इस कदम से शांति प्रभावित होगी।

अधिकारी ने बताया कि यहां रह रहे अधिकतर लोगों को नोटिस मिला है। अधिकारियों ने बंद पड़े घरों के दरवाजे पर भी नोटिस चिपकाये हैं। अगले नोटिस तक इलाके में निषेधाज्ञा लागू रहेगी। गौर करने वाली बात यह भी है कि खासी सिविल सोसायटी के समूह हमेशा से मांग करते रहे हैं कि सिख समुदाय के लोगों को इस इलाके से हटाया जाए। पिछले दो दशकों से इस मांग में तेजी आई है। 

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