रिमांड का आदेश सुनने के बाद चिदंबरम ने नहीं की किसी से बात, बेटे कार्ति ने ट्वीट कर लॉ स्टूडेंट्स को दिए सुझाव
INX Media Case P Chidambaram के बेटे कार्ति ने कहा कि दोनों अधिवक्ताओं ने काफी सटीक दलीलें दीं हैं। इस सुनवाई को रिकॉर्ड किया जाना चाहिए था ताकि लॉ के छात्र इससे कुछ सीख सकें।
नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री P Chidambaram को राउज एवेन्यू की विशेष अदालत में पेश करने से लेकर रिमांड पर भेजे जाने की प्रक्रिया काफी लंबी चली। चिदंबरम को तीन बजकर 15 मिनट पर अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद पांच बजे तक बहस चली। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आधे घंटे के लिए फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन यह इंतजार लंबा हो गया। शाम साढ़े छह बजे अदालत ने रिमांड का आदेश सुनाया। जैसे ही अदालत ने रिमांड का आदेश दिया तो चिदंबरम तनाव में आ गए। उनके चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी।
बहस पूरी होने के बाद चिदंबरम की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी अदालत से बाहर चले गए। करीब 25 मिनट के बाद सिब्बल तो फिर अदालत में आ गए, लेकिन सिंघवी जा चुके थे। इस दौरान चिदंबरम आराम से कुर्सी पर बैठे थे और बीच-बीच में अपने अधिवक्ताओं से बात कर रहे थे। छह बजकर 25 मिनट पर जब कोर्ट स्टॉफ ने न्यायाधीश के आने की सूचना दी तो चिदंबरम फिर से कटघरे में आ गए। स्टॉफ ने कुछ दस्तावेजों पर उनके हस्ताक्षर लिए।
इसके बाद विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने रिमांड का आदेश सुनाया। इसके बाद चिदंबरम ने किसी से कोई बात नहीं की। सीबीआइ ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया और काफी मशक्कत के बाद कोर्ट से बाहर ले गई। पूरे परिसर में वकील, मीडिया और समर्थकों का जमावड़ा था। हालांकि बीच रास्ते चिदंबरम के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान दिखी और उन्होंने हाथ भी हवा में उठाया, लेकिन एक भी शब्द नहीं बोला।
सिंघवी और सिब्बल की कार्ति ने की तारीफ
बहस के दौरान कार्ति चिदंबरम कोर्ट रूम में ही मौजूद रहे। बीच-बीच में हंस रहे थे। उन्होंने ट्वीट कर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों की तारीफ की। कार्ति ने कहा कि दोनों अधिवक्ताओं ने काफी सटीक दलीलें दीं। इस सुनवाई को रिकॉर्ड किया जाना चाहिए था ताकि लॉ के छात्र इससे कुछ सीख सकें। हालांकि जब रिमांड का आदेश सुनाया गया तो कार्ति के चेहरे पर खामोशी छा गई।
अदालत में भीड़, पुलिस से होती रही बहस
कोर्ट रूम में पांव रखने तक की जगह नहीं बची। व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस के कई अधिकारी और फोर्स तैनात की गई थी। वहीं कॉरिडोर में भी बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। ऐसे में पुलिस को एक घेरा बनाना पड़ा और इसके चलते बीच-बीच में पुलिस, मीडिया और वकीलों के बीच बहस भी हुई।