बच्चे की पिटाई करने वाला शिक्षक काटेगा जेल, सुप्रीम कोर्ट की महिला जजों ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट की दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. भानुमति व न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने शिक्षक को दोषी ठहराया।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। यूनीफार्म के जूते न पहन कर आने पर कक्षा दो के बच्चे की छड़ी से पिटाई करने वाला शिक्षक अब एक साल की जेल काटेगा। पिटाई के दौरान शिक्षक की छड़ी से बच्चे की आंख में चोट लग गई थी और दो आपरेशन होने के बावजूद बच्चे की बाईं आंख की रोशनी चली गई। सुप्रीम कोर्ट की दो महिला न्यायाधीशों की पीठ ने शिक्षक को दोषी ठहराए जाने के हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए एक साल के कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
शिक्षक की छड़ी से चोट लगने से बच्चे की चली गई थी आंख की रोशनी
यह फैसला न्यायमूर्ति आर. भानुमति व न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने दोषी शिक्षक की हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील का निपटारा करते हुए सुनाया है। हाईकोर्ट ने शिक्षक को बरी करने का निचली अदालत का फैसला पलट दिया था और बच्चे को गंभीर चोट पहुंचाने का दोषी ठहराते हुए शिक्षक को दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट में गत 5 सितंबर को दो महिला न्यायाधीश जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस इंदिरा बनर्जी एक साथ पीठ में बैठीं थीं। उसी दिन इस दुर्भाग्यपूर्ण केस पर अफसोस जताते हुए पीठ ने शिक्षक को दोषी ठहराने का फैसला सुनाया था। सीआर करियप्पा कर्नाटक के एक स्कूल में शिक्षक था।
1996 में कक्षा दो के छात्र के यूनीफार्म के जूते पहनकर न आने पर शिक्षक ने लकड़ी की छड़ी से उसकी पिटाई की जिससे बच्चे की आंख में चोट लग गई। बच्चे को अस्पताल ले जाया गया उसकी आंख का दो बार आपरेशन हुआ लेकिन फिर भी उसकी बायीं आंख की रोशनी चली गई। बच्चे के पिता ने शिक्षक के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई।
निचली अदालत ने पर्याप्त सबूत न होने के आधार पर शिक्षक को बरी कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलट दिया और शिक्षक को गंभीर चोट पहुंचाने का दोषी ठहराते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक को दोषी ठहराने के हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि पीडि़त बच्चे को कोर्ट की कार्रवाई का ज्ञान नहीं था। वह पीडि़त था उससे घटना के बारे मे पूछा जाना चाहिए था। यह कहना कि उसे अदालत मे आने से पहले सिखाया गया था, ठीक नहीं है। इस आधार पर बच्चे की गवाही नकारी नहीं जा सकती।
गवाहों के बयानों मे थोड़ा बहुत अंतर केस पर फर्क नहीं डालता बल्कि चश्मदीद गवाहों के बयान एक अन्य चश्मदीद के बयान से मेल खाते हैं जिसका बच्चा भी उसी स्कूल में पढ़ता था। उस गवाह ने अपने बयान मे कहा है कि आरोपी शिक्षक ने बच्चे पर छड़ी से हमला किया और उसके बाद बच्चा अपनी आंख पकड़ कर नीचे बैठ गया। कोर्ट ने शिक्षक को दोषी ठहराते हुए कहा कि चिकित्सीय सबूतों में भी उसके बयान का समर्थन होता है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक की सजा दो साल से घटाकर एक साल करते हुए कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि शिक्षक ने जो छड़ी ले रखी थी वो खतरनाक हथियार थी। कोर्ट ने आइपीसी की धारा 326 के बजाए 325 में जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई। जुर्माने की रकम पीडि़त को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी।