अमीरों पर लगाया जा रहा टैक्स कोई हाईवे की लूट नहीं: सीतारमण
देश में अमीरों की इस श्रेणी में 5000 से ज्यादा लोग नहीं हैं और केंद्रीय बजट में स्टार्टअप की मदद के लिए भी कई उपाय किए गए हैं।
चेन्नई, आइएएनएस। मोदी सरकार-2 के पहले बजट में अमीरों पर लगाए गए (सुपर रिच) टैक्स पर उठ रहे सवालों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सफाई दी। उन्होंने कहा कि यह टैक्स कोई हाईवे रॉबरी (राजमार्गो पर होने वाली लूट) नहीं है या इसे अमीरों के कारोबार को प्रभावित करने के मकसद से नहीं लगाया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय संभालने के बाद पहली बार चेन्नई पहुंची सीतारमण ने एक वाणिज्य संघ के कार्यक्रम में कहा कि अमीरों पर टैक्स उनसे गरीबों के लिए कुछ ज्यादा योगदान देने की उम्मीद के साथ लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि देश में अमीरों की इस श्रेणी में 5,000 से ज्यादा लोग नहीं हैं और केंद्रीय बजट में स्टार्टअप की मदद के लिए भी कई उपाय किए गए हैं। वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि गरीबों की मदद करने की सरकार की जिम्मेदारी में अमीरों को कंधे से कंधा मिलाकर भागेदारी करनी चाहिए।
देश में धन-संपदा और रोजगार सृजन में भारतीय कारोबारियों की सराहना करते हुए सीतारमण ने कहा कि पिछले 60 साल से हम अपने अधिकारों के बारे में तो बात करते रहे हैं, लेकिन अपने दायित्वों के बारे में कम से कम बात की है। बदले में कुछ भी पाने की आशा के बिना गरीब अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं इसलिए सरकार उन्हें मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएं प्रदान कर रही है।
'मोदी सरकार ब्रीफकेस वाली सरकार नहीं'
बजट दस्तावेजों को ब्रीफकेस की बजाय स्वदेशी लाल कपड़े के 'बही खाते' में ले जाने पर सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार ब्रीफकेस वाली सरकार नहीं है। उनका इशारा पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के भ्रष्टाचार की ओर था।