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तसलीमा नसरीन ने सीएए को बताया उदार कानून, बोलीं- मुस्लिमों व नास्तिकों को भी दी जाए नागरिकता

बांग्‍लादेश की जानी-मानी लेखिका तसलीमा नसरीन ने सीएए को उदार बताया है और कहा है कि इस कानून में मुस्लिम समुदाय मुक्त विचारक और नास्तिक को भी शामिल किया जाए।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 09:15 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 09:32 AM (IST)
तसलीमा नसरीन ने सीएए को बताया उदार कानून, बोलीं- मुस्लिमों व नास्तिकों को भी दी जाए नागरिकता
तसलीमा नसरीन ने सीएए को बताया उदार कानून, बोलीं- मुस्लिमों व नास्तिकों को भी दी जाए नागरिकता

कोझिकोड, एएनआइ। बांग्‍लादेश की जानी-मानी लेखिका तसलीमा नसरीन ने शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून 2019 (सीएए) को बहुत अच्छा और उदार बताया है। उन्होंने इस कानून में मुस्लिम समुदाय, मुक्त विचारक और नास्तिक को भी शामिल करने का सुझाव दिया, जिन्हें पड़ोसी देशों में सताया जाता है। उन्होंने यह बात केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कही। 

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तसलीमा नसरीन ने लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन कहा 'बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देना अच्छा है। लेकिन मेरे जैसे लोग भी नागरिकता के हकदार हैं। उन्हें भारत में रहने का अधिकार है। सीएए एक बहुत अच्छा विचार है और बहुत ही उदार है।'

तसलीमा नसरीन ने इस दौरान यह भी कहा कि इस्लाम को और अधिक लोकतांत्रिक और निर्मल होना चाहिए। हमें और अधिक मुक्त विचारकों की आवश्यकता है। समान नागरिक संहिता समानता पर आधारित होनी चाहिए, न कि धर्म पर। 

मुस्लिम 'नास्तिक ब्लॉगर्स' का हवाला देते हुए, जो कुछ साल पहले बांग्लादेश में संदिग्ध इस्लामी आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे तसलीमा ने कहा 'इनमें से कई ब्लॉगर अपनी जान बचाने के लिए यूरोप और अमेरिका के लिए चले गए। वे भारत क्यों नहीं आ सकते? आज, भारत को और अधिक  मुक्त विचारक, धर्मनिरपेक्षतावादी, मुस्लिम समुदाय से नारीवादी लोगों की आवश्यकता है।'

नसरीन ने 1994 में बांग्लादेश छोड़ दिया था

गौरतलब है कि नसरीन ने 1994 में अपने कथित इस्लाम विरोधी विचारों के लिए कट्टरपंथी संगठनों से जान के खतरे के मद्देनजर बांग्लादेश छोड़ दिया था। तब से वह निर्वासन में रह रही है। लेखक ने जोर देकर कहा कि कट्टरपंथियों को सीएए विरोध प्रदर्शन से अलग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कट्टरवाद की निंदा की जानी चाहिए। अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों समुदाय के कट्टरपंथी एक ही हैं। वे दोनों विकासशील समाज और महिलाओं की समानता के खिलाफ हैं। 

भारत में घर जैसा महसूस करती हैं नसरीन

नसरीन ने आगे कहा कि वह हमेशा भारत में घर जैसा महसूस करती हैं। उन्होंने कहा, 'लोग मुझे बताते हैं कि मैं एक विदेशी हूं। हालांकि, मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि मैं अपने घर पर हूं। मैं केवल और केवल भारत में ही रहूंगी।


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