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3 महीने की जगह 1 साल के लिए बढ़ा तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंस परमिट, जानें गृह मंत्रालय ने क्यों लिया यह फैसला

गृह मंत्रालय ने एक साल के लिए बढ़ाया विवादित बांग्लादेशी लेखक तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंस परमिट।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 01:05 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 01:05 PM (IST)
3 महीने की जगह 1 साल के लिए बढ़ा तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंस परमिट, जानें गृह मंत्रालय ने क्यों लिया यह फैसला
3 महीने की जगह 1 साल के लिए बढ़ा तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंस परमिट, जानें गृह मंत्रालय ने क्यों लिया यह फैसला

नई दिल्ली,पीटीआइ। विवादित बांग्लादेशी लेखक तस्लीमा नसरीन के रेजिडेंस परमिट को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक साल के लिए बढ़ा दिया है। अब वह भारत में एक साल और रह सकती है।  स्वीडन की नागरिक तस्लीमा को 2004 से लगातार आधार पर निवास की अनुमति मिल रही है।

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गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि जुलाई 2020 तक उसके निवास परमिट को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है। 56 वर्षीय लेखक को पिछले सप्ताह तीन महीने का निवास परमिट दिया गया था, जिसके बाद उसने ट्विटर पर गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया की वह इसे एक साल के लिए और बढ़ा दें।

तसलीमा ने गृहमंत्री अमित शाह को ट्वीट करते हुए कहा कि मैंने वीजा परमिट में एक्सटेंशन के लिए 5 साल के लिए आवेदन किया था, लेकिन मुझे 1 साल का ही एक्सटेंशन मिल रहा है। राजनाथ जी ने मुझे आश्वासन दिया कि वह मेरा वीजा परमिट 50 साल तक के लिए बढ़वा देंगे। भारत ही मेरा एकमात्र घर है। मुझे यकीन है कि आप मेरे बचाव में आएंगे। हर बार जब मैं अपने भारतीय निवास के परमिट के लिए 5 साल के लिए आवेदन करती हूं, तो मुझे एक वर्ष के लिए एक्सटेंशन मिलता है। इस बार मैंने 5 साल के लिए एक्सटेंशन के लिए आवेदन किया, मुझे केवल 3 महीने का ही एक्सटेंशन मिला है। आशा है कि माननीय गृह मंत्री  मेरे निवास परमिट को कम से कम 1 साल के लिए बढ़ाने पर विचार करेंगे। बता दें कि तसलीमा ने 17 जुलाई को यह ट्वीट किया था। 

तस्लीमा को अपने कथित इस्लाम विरोधी विचारों के लिए कट्टरपंथी संगठनों द्वारा मौत के खतरे के मद्देनजर 1994 में बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। तब से वह निर्वासन में रह रही है। वह पिछले दो दशकों के दौरान अमेरिका और यूरोप में भी रहीं। हालांकि, कई मौकों पर उसने भारत में स्थायी रूप से रहने की इच्छा व्यक्त की थी, खासकर कोलकाता में। तस्लीमा ने भारत में स्थायी निवास के लिए भी आवेदन किया था लेकिन गृह मंत्रालय ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया।

लेखिका को 2007 में मुसलमानों के एक वर्ग द्वारा उनके कार्यों के खिलाफ हिंसक सड़क विरोध प्रदर्शन के बाद कोलकाता छोड़ना पड़ा। तस्लीमा ने कहा था कि अगर वह भारत में नहीं रह पाती हैं तो वह एक "पहचान संकट" से पीड़ित होंगी, जो उनके लेखन को प्रभावित करेगा और महिलाओं के अधिकारों का कारण होगा।


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