भगोड़े एनआरआइ पति की खैर नहीं, सुषमा स्वराज बोलीं - समन और वारंट देने को बन रहा पोर्टल
सुषमा ने कहा कि यह कदम उन एनआरआइ शादियों से बचाव के लिए उठाए गए हैं जिसमें एनआरआइ पति अपनी पत्नी को छोड़ कर विदेश भाग जाते हैं या फिर विदेश में पत्नी को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देते हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि भगोड़े एनआरआइ पतियों के खिलाफ समन और वारंट जारी करने के लिए एक पोर्टल बनाया जा रहा है ताकि भगोड़े पतियों को समन या वारंट सौंपा जा सके। अगर आरोपी ने नोटिस का जवाब नहीं दिया तो उसे अपराधी घोषित कर दिया जाएगा। साथ ही उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
राज्य महिला आयोगों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए शुक्रवार को विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे पोर्टल की व्यवस्था लागू करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। इसके तहत जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार देने होंगे कि वह पोर्टल के जरिए भेजे समन और वारंट को सौंपा हुआ समझें। विदेश मंत्री ने कहा कि इसके प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय, सदन, गृह मंत्रालय और महिला व बाल कल्याण मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है।
स्वराज ने कहा कि यह कदम उन एनआरआइ शादियों से बचाव के लिए उठाए गए हैं जिसमें एनआरआइ पति अपनी पत्नी को छोड़ कर विदेश भाग जाते हैं या फिर विदेश में अपनी पत्नी को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देते हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार 3328 शिकायतें पिछले तीन सालों में एनआरआइ पतियों की भारतीय पत्नियों से मिली हैं।
सुषमा स्वराज ने महिला आयोग से अपील की कि वह देश भर में चल रहे अवैध एजेंटों के नेटवर्क को खत्म कर दें। उन्होंने कहा कि बंधक बनाकर मार दिए गए 39 भारतीयों को अवैध रूप से इराक पहुंचाने वाले एजेंट अभी भी अपना काला कारोबार चला रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सुषमा स्वराज ने इसी साल मार्च में संसद को बताया था कि तीन साल पहले आतंकी संगठन आइएस के हाथों बंधक बनाए गए 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है।
विदेश मंत्री ने बताया कि जिन एजेंटों ने 39 भारतीयों को इराक पहुंचाया था वह अभी भी लोगों को अवैध तरीके से विदेश भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि एंटी-ट्रैफिक बिल को लाने की तैयारी बहुत अच्छा कदम है। लेकिन इसका पूरा असर तब तक नहीं होगा जब तक कि इन अवैध एजेंटों का नेटवर्क खत्म नहीं कर दिया जाता है। युवा लड़कों की तस्करी करके उन्हें मुंबई से भेजा जा रहा है।
उन्हें व्यापारिक जहाजों में चालक दल का सदस्य बनाकर भेजा जा रहा है। लेकिन असलियत यह है कि उनकी तस्करी करके उन्हें विदेश भेजा जाता है। और जब वह युवक अन्य देशों में पकड़े जाते हैं तो उन्हें वहां से निकाल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। स्वराज ने सलाह दी है कि लोगों को पंजीकृत सरकारी एजेंटों के पास ही जाना चाहिए। मंत्रालय के पास ऐसे पंजीकृत एजेंटों की पूरी जानकारी होती है। और हमें पता होता है कि नियोक्ता यानी नौकरी देने वाला कौन है। इसलिए कोई अनहोनी होने की सूरत में हमारे पास एक जिम्मेदार एजेंट होता है।
उन्होंने कहा कि राज्य आयोग को अवैध एजेंटों की पहचान करनी चाहिए। साथ ही उनके नाम राज्य के मुख्यमंत्रियों को देने चाहिए। साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहना चाहिए। आधी परेशानी ऐसे ही खत्म हो जाएगी अगर अवैध एजेंटों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।