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ऐसी थीं सुषमा स्वराज, विदिशा के मतदाताओं से बनाया था भाई-बहन का रिश्ता

जब वह प्रचार के लिए गांवों में सभाएं करतीं थीं तो उनका भाषण राजनीतिक न होकर पूरी तरह भावनात्मक होता था। यहां के मतदाता उनके भाई हैं। एक बहन रक्षा का वचन लेने आई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 12:55 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 06:35 AM (IST)
ऐसी थीं सुषमा स्वराज, विदिशा के मतदाताओं से बनाया था भाई-बहन का रिश्ता
ऐसी थीं सुषमा स्वराज, विदिशा के मतदाताओं से बनाया था भाई-बहन का रिश्ता

अजय जैन, विदिशा। सुषमा स्वराज जब 2009 में पहली बार विदिशा आई थीं तो उन्होंने क्षेत्र के मतदाताओं से भाई-बहन का रिश्ता बनाया था। वह हर भाषण में इसे दोहरातीं थीं। वह क्षेत्र के लोगों से रक्षा का वचन भी मांगती थीं। यही वजह रही कि वह इस क्षेत्र की निवासी नहीं होने के बावजूद लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं।

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विदिशा संसदीय क्षेत्र से लंबे समय तक सांसद रहने के बाद भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में रामपाल सिंह राजपूत सांसद बने। इसके बाद 2009 में आम चुनाव में भाजपा ने यहां से सुषमा स्वराज को प्रत्याशी बनाया। जब वह प्रचार के लिए गांवों में सभाएं करतीं थीं तो उनका भाषण राजनीतिक न होकर पूरी तरह भावनात्मक होता था। वह हर सभा में कहतीं थीं कि यहां के मतदाता उनके भाई हैं। एक बहन उनसे रक्षा का वचन लेने आई है।

वह कहतीं थीं कि इस क्षेत्र के मतदाताओं के सम्मान की वह भी रक्षा करेंगी। वह अपनी इस शैली से सीधे मतदाताओं के दिल में जगह बनाती गई। पहले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी का फॉर्म निरस्त होने के बावजूद सतत प्रचार में जुटी रहीं। चुनाव जीतने के बाद वह जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में आभार जताने पहुंचीं।

उन्होंने पहले चुनाव के बाद कहा था कि वह अपने संसदीय क्षेत्र में हर माह चार दिन रहेंगी, जिस पर उन्होंने पूरे पांच साल अमल किया। लेकिन, दूसरे कार्यकाल में वह अस्वस्थता के कारण इसे कायम नहीं रख पाई। 2014 से 2016 तक वह क्षेत्र से सीधे जुड़ी रहीं। इसके बाद किडनी का ऑपरेशन होने पर वह करीब ढाई साल से विदिशा नहीं आईं थीं। आखिरी बार वह विदिशा पिछले साल ऑडिटोरियम के लोकार्पण कार्यक्रम में भाग लेने आई थीं।

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