जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद लगीं पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
सरकार कह रही है कि स्कूल खुल गए है लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे हालात में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगाए गए नियंत्रणों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कांग्रेस नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन सहित कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लगाए गए नियंत्रणों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया
न्यायमूर्ति एनवी रमना, आर सुभाष रेड्डी और बीआर गवई की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया। बुधवार को गुलाम नबी आजाद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने नियंत्रण का विरोध करते हुए कहा कि वह ये समझते हैं कि वहां राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है, लेकिन 70 लाख लोगों को इस तरह बंद करके नहीं रखा जा सकता। यह जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। राष्ट्रीय सुरक्षा और जीवन के अधिकार के बीच संतुलन होना चाहिए।
सरकार कह रही है कि जम्मू-कश्मीर में सब सामान्य है, लेकिन वहां सबकुछ ठीक नहीं है
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार कह रही है कि जम्मू-कश्मीर में सब सामान्य है, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद से लगी पाबंदियों के इतने दिन बीतने के बाद भी वहां सबकुछ ठीक नहीं है। जम्मू कश्मीर में कारोबार, स्कूल, किसान और पर्यटन बहुत प्रभावित है। सरकार कह रही है कि स्कूल खुल गए है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे हालात में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे।
जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियां असंवैधानिक हैं
कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की ओर से पेश वकील वृन्दा ग्रोवर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियां असंवैधानिक हैं। ऐसे मामलों में संतुलन का ध्यान रखा जाना चाहिए।
तुषार मेहता ने इंटरनेट सेवा पर लगी रोक को जायज ठहराया
जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गत मंगलवार को अनुच्छेद 370 हटने के बाद से राज्य में इंटरनेट सेवा पर लगी रोक को जायज ठहराते हुए कहा था कि ऐसा न होने से अलगाववादी, आतंकी और पाकिस्तानी सेना सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जिहाद के नाम पर भड़का सकती है। मेहता ने कहा था कि यहां सिर्फ अंदरूनी शत्रुओं से ही नहीं लड़ना है, बल्कि सीमा पार के दुश्मनों से भी लड़ना है। उन्होंने इस संबंध में कई उदाहरण भी दिये।