भीमा कोरेगांव: रोमिला थापर की याचिका का विरोध, 19 सितंबर को अगली सुनवाई
महाराष्ट्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी केवल भीमा कोरेगांव के मामले में गिरफ्तार नहीं हुए हैं, आशंका है कि ये देश में शाति भंग करने के प्रयास में भी हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांचों वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने कुछ और सबूत पेश करने की मोहलत मांगी जिसके बाद अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने रोमिला थापर की याचिका का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जिसने यह याचिका दायर की है उसका इस केस से कोई लेना-देना नहीं है। तुषार मेहता ने यह भी कहा कि आरोपियों से कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो गलत हैं।
मेहता ने आगे कहा कि आरोपी केवल भीमा कोरेगांव के मामले में गिरफ्तार नहीं हुए हैं, आशंका है कि ये देश में शाति भंग करने के प्रयास में भी हैं। वहीं याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की जांच एसआईटी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है।
वहीं केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि देश में माओवादियों और नक्सलियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मामले में आरोपी आसामाजिक गतिविधियों के बढ़ते खतरे के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा मनिंदर सिंह ने याचिकाकर्ताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट से सीधे संपर्क करने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा 'याचिकर्काओं के पास निचली अदालत, हाई कोर्ट या दूसरे कानूनी विकल्प है।' वहीं सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ने निरीक्षण करते हुए कहा कि हमने आजादी के मूल सिद्धांत पर केस को देखा है।
बतादें कि इससे पहले 12 सितंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने वरवर राव समेत पांच वामपंथी विचारकों की नजरबंदी और पांच दिन के लिए बढ़ा दी थी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविल्कर और डीवाइ चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने बुधवार को इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य की याचिका पर सुनवाई 17 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया था।
प्रख्यात तेलुगु कवि वरवर राव, को 28 अगस्त को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था। जबकि वरनान गोंजाल्विज और अरुण फरेरा को मुंबई से पकड़ा गया था। ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को कोरेगांव-भीमा गांव में यल्गार परिषद के भड़काऊ भाषणों के बाद हुई हिंसा के संबंध में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर को इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए इन पांचों गिरफ्तार लोगों को रिहा करके कुछ दिनों के लिए नजरबंद करने का आदेश दिया था।