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MP by election 2020: सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ का स्टार प्रचारक दर्जा खतम करने के आदेश पर लगाई रोक

MP by election 2020 कमलनाथ को कांग्रेस पार्टी की तरफ स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शुमार किया गया था लेकिन कुछ बयानों को लेकर चुनाव आयोग ने उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में हटाए जाने का आदेश दिया था।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 01:36 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 07:10 PM (IST)
चुनाव आयोग के कमलनाथ को स्टार प्रचारक के रूप में हटाने के आदेश पर रोक।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा समाप्त करने के चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कमलनाथ की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस भी जारी किया है। चुनाव आयोग ने बार बार आचार संहिता के उल्लंघन पर 30 अक्टूबर को कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा समाप्त कर दिया था। इसके खिलाफ कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

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हालांकि मध्य प्रदेश में अब 28 सीटों पर उप चुनाव के लिए प्रचार समाप्त हो चुका है। वहां मंगलवार को मतदान होना है। सोमवार को यह आदेश मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ दाखिल कमलनाथ की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त आदेश दिये। कोर्ट ने चुनाव आयोग की खिंचाई करते हुए यह भी कहा कि आयोग यह तय कैसे कर सकता है कि पार्टी का नेता कौन होगा। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि अब यह याचिका महत्वहीन हो चुकी है क्योंकि मध्य प्रदेश में प्रचार बंद हो चुका है और मंगलवार को मतदान होना है।

कमलनाथ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिका की सुनवाई पर जोर देते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने 30 अक्टूबर को आदेश पारित करने से पहले कमलनाथ को नोटिस भी नहीं जारी किया। आयोग ने कहा कि उसने आदर्श आचार संहिता के तहत काम किया है। वैसे भी अब यह याचिका महत्वहीन हो चुकी है। इस पर पीठ ने कहा कि लेकिन वह इस पर विचार करेंगे कि आयोग को ऐसा करने की शक्ति कहां से मिली।

द्विवेदी ने कहा कि अगर कोर्ट इस पहलू पर विचार करेगा तो उसे आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगानी चाहिए लेकिन पीठ ने बात नहीं मानी और कहा वह आयोग के आदेश पर रोक लगा रहे हैं। कमलनाथ ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग के आदेश को मनमाना और गलत बताते हुए चुनौती दी है। याचिका में कहा है कि आयोग ने ऐसा आदेश पारित करने से पहले उन्हें नोटिस भी जारी नहीं किया। 


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