सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाई कोर्ट का निर्णय, शरद यादव बतौर सांसद नहीं ले सकते वेतन-भत्ता
राज्यसभा के सभापति की ओर से बतौर सांसद अयोग्य घोषित करने के बाद वह वेतन-भत्ता लेने के हकदार नहीं हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जनता दल (युनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को राज्यसभा के सभापति की ओर से बतौर सांसद अयोग्य घोषित करने के बाद वह वेतन-भत्ता लेने के हकदार नहीं हैं।
-सर्वोच्च अदालत ने पलट दिया दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
-हाईकोर्ट में याचिका के निपटारे तक सरकारी आवास में रहने को मिली छूट
सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट के पारित किए फैसले में बदलाव लाते हुए बतौर सांसद उनका वेतन-भत्ता रोका है। हालांकि जस्टिस एके गोयल और अशोक भूषण की खंडपीठ ने गुरुवार को अपने फैसले में उन्हें आधिकारिक बंगले में दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित मामले तक बने रहने को कहा है। हाईकोर्ट ने पिछले साल 15 दिसंबर को अपने फैसले में वेतन-भत्ते के साथ ही आधिकारिक बंगले में रहने का फैसला सुनाया था। इसी अंतरिम फैसले को जद यू के राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह ने चुनौती दी थी।
शरद यादव की तरफ से पेश होने वाले वकील ने कहा कि वह अपने सभी वेतन-भत्ते छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन हाईकोर्ट में लंबित याचिका के निपटारे तक उन्हें आधिकारिक बंगले में रहने दिया जाए।
तब खंडपीठ ने यादव के वकील से पूछा कि हाईकोर्ट उन्हें वेतन-भत्ता लेने का आदेश कैसे दे सकता है जबकि उन्हें उच्च सदन के सभापति ने बतौर सांसद अयोग्य करार दिया है। याचिकाकर्ता सिंह की ओर से पेश होने वाले वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को बदला जाना चाहिए क्योंकि हाईकोर्ट अयोग्य घोषित सांसद के लिए वेतन-भत्ते और सरकारी बंगले की मांग नहीं कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल भाजपा से नाता जोड़ने के बाद शरद यादव के राजद और कांग्रेस वाले विपक्षी गठबंधन की रैली में शामिल होने पर पार्टी से अलग कर दिया था। उन्हें दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार दिया गया था। शरद यादव को राज्यसभा में वर्ष 2016 में निर्वाचित किया गया था। उनका यह कार्यकाल जुलाई, 2022 में खत्म होने वाला था।