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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग पर बरसा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छह अगस्त को फैसला देंगे कि पंचायत चुनाव के परिणाम घोषित किए जाएं या नहीं।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 12:01 AM (IST)Updated: Thu, 05 Jul 2018 12:01 AM (IST)
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग पर बरसा सुप्रीम कोर्ट
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग पर बरसा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली [प्रेट्र]। पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को जमकर झाड़ पिलाई है। कोर्ट ने बुधवार को पूछा कि नामांकन का समय बढ़ाने का आदेश क्यों खारिज किया गया। आयोग ने जब अदालत से चुनावों के परिणाम घोषित करने की अनुमति मांगी तो चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने कहा कि छह अगस्त को फैसला देंगे कि परिणाम घोषित किए जाएं या नहीं।

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ध्यान रहे कि नौ अप्रैल को चुनाव आयोग ने शिकायतों का संज्ञान लेते हुए फैसला किया था कि नामांकन का समय अगले दिन यानी दस जून को दोपहर तीन बजे तक बढ़ाया जा रहा है, लेकिन यू टर्न लेते हुए अगली सुबह ही फैसले को वापस ले लिया गया था। मंगलवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने कहा था कि राज्य चुनाव आयोग पंचायत चुनावों पर बुधवार को हलफनामा दाखिल करे।

ग्राम पंचायत, जिला परिषद व पंचायत समिति की कुल 58692 सीटों पर हुए चुनावों में से 20159 सीटें निर्विरोध चुनी गई थीं। चुनावों के दौरान राज्य में जमकर हिंसा हुई और विपक्ष का आरोप था कि उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल नहीं करने दिया गया।

चीफ जस्टिस की बेंच ने मंगलवार को कहा था कि सबसे ज्यादा हतप्रभ करने वाली स्थिति ग्राम पंचायत को लेकर है। 48650 सीटों में से 16 हजार पर बगैर किसी चुनाव के फैसला हो गया। बीरभूम, बांकुरा व मुर्शिदाबाद में हालात सबसे ज्यादा बदतर रहे। इसी तरह से जिला परिषद की 825, पंचायत समिति की 9217 सीटों पर मई में चुनाव हुए थे, जिनमें से 34 फीसद निर्विरोध चुनी गईं।

गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि ईमेल के जरिये नामांकन स्वीकृत किए जाएं और उन प्रत्याशियों के नामों की घोषणा गजट में न की जाए जो निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए कहा था कि पिछले फैसलों में साफ है कि एक बार चुनाव शुरू हो जाए तो फिर उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।


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