कचरा प्रबंधन पर LG को SC की फटकार, कहा- दिल्ली में इमरजेंसी जैसे हालात पर एक्शन नहीं दिख रहा
दिल्ली में कचरा प्रबंधन नीति से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के उप राज्यपाल को कड़ी फटकार लगाई।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली में कचरा प्रबंधन नीति से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के उप राज्यपाल को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में आपातकाल जैसी स्थिति लेकिन उससे निपटने में उस तरह की तत्परता नहीं दिखाई जा रही। ये तल्ख टिप्पणियां और निर्देश न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली में कचरा प्रबंधन मामले में सुनवाई के दौरान दिये। कोर्ट ने घरों से अलग अलग छांट कर कूड़ा एकत्र करने के बारे में चल रहे पायलेट प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को 14 अगस्त तक पायलट प्रोजेक्ट योजना पेश करने के निर्देश दिए और मामले की सुनवाई 17 अगस्त तक के लिए टाल दी।
मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से कहा कि सिर्फ दक्षिणी दिल्ली से प्रतिदिन 1800 टन कूड़ा एकत्र होता है। आपका कहना है कि कचरा प्रबंधन प्लांट दिसंबर तक शुरू होंगे। आपको अंदाजा है कि तब तक कितना कचरा इकट्ठा हो जाएगा। सात लाख टन से भी ज्यादा। दिल्ली में आपातकाल जैसी स्थिति है लेकिन उससे निपटने की तत्परता वैसी नहीं है। आपको उसका भान तक नहीं है।
जब एएसजी ने कहा कि सोनिया विहार के लोग लैंडफिल का विरोध कर रहे हैं तो नाराज कोर्ट ने कहा कि आप एक घर से कचरा उठा कर दूसरे के घर के सामने कैसे फेंक सकते हैं। आपको विकल्प तलाशना होगा। पीठ ने कहा कि सोनिया विहार के लोगों का विरोध जायज है। वे लोग वंचित और कमजोर हैं तो आप उनके घर के पास कूड़े का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं। राज निवास मार्ग पर कूड़ा क्यों नहीं फेंक देते। पीठ ने कहा कि लोगों को ये कहने का अधिकार है कि उनके घर के सामने कूड़ा न डाला जाए।
कोर्ट ने कहा कि गंगाराम अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की आधी आबादी फेफड़े के कैंसर के खतरे की चपेट में है जबकि वे धूम्रपान नहीं करते। नीति आयोग कहता है कि 2019 तक दिल्ली में पानी की कमी होगी। ऐसी स्थिति में दिल्ली में कौन जीवित रह पाएगा।
उपराज्यपाल की तरफ से दलील दी गई कि प्लांट लगाने में समय लगेगा। रातो रात प्लांट नहीं लगाया जा सकता। कचरा प्रबंधन भी किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि घरों से निकलने वाले कूड़े को अलग अलग छांटा जाए। जैसे कौन सा कूड़ा जैविक है और कौन सा नहीं। कूड़ा छांटने का काम घरों से ही होना चाहिए।
पीठ ने पूछा कि कचरे को अलग अलग करने की क्या योजना है। जैसे जो कचरा रिसाइकिल हो सकता है और जो नहीं हो सकता। लोगों को इस बारे में कैसे जानकारी दी जाएगी। और लोगों के घरों से कूड़े को अलग अलग लेने की क्या योजना है। कोर्ट ने ये भी कहा कि जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए। अगर कोई निर्माण कार्य करके उसका कचरा फेंकता है तो उसे ही उसका भुगतान करना चाहिए। इसी तरह अगर कोई मरम्मत का काम करता है तो उस कूड़े के लिए उसी से पैसे वसूले जाने चाहिए।