आईटी के 'रद कानून' के तहत हो रही गिरफ्तारियां, SC ने कहा- अधिकारियों को भेजेंगे जेल
2015 में शीर्ष अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(ए) को अस्पष्ट और असंवैधानिक बताया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने साइबर अपराध और ई-कॉमर्स से संबंधित कानून के एक खंड में गिरफ्तारी को नहीं रोकने के लिए सरकार की आज कड़ी आलोचना की। साथ ही यह चेतावनी भी दी कि गिरफ्तारी का आदेश देने वालों को जेल होगी। कोर्ट दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि कुछ लोगों को आईटी अधिनियम की धारा 66ए के तहत गिरफ्तार किया गया है।
कोर्ट ने आईटी अधिनियम की धारा 66ए के तहत की गई गिरफ्तारी को रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाने पर अदालत ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने गिरफ्तारी का दावा करने वाली जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार हफ्तों का समय दिया है। जस्टिस नरीमन ने कहा, 'यदि इन्होंने जो आरोप लगाए हैं वह सही हैं तो आप लोगों को कड़ी से कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने उन लोगों की सूची दी है जिन पर मुकदमा चलाया गया है। हम उन सभी लोगों को जेल में भेज देंगे जिन्होंने गिरफ्तारी का आदेश दिया था। हम सख्त कदम उठाने वाले हैं।'
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर आईटी कानून की धारा 66ए को समाप्त करने के उसके आदेश का उल्लंघन किया गया तो संबंधित अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाएगा। पीयूसीएल ने न्यायालय में दायर की गई याचिका में कहा है कि शीर्ष अदालत द्वारा आईटी कानून की धारा 66ए को समाप्त करने के बाद 22 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमें दायर किए गए हैं।
2015 में शीर्ष अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(ए) को 'अस्पष्ट' और 'असंवैधानिक' बताया था। इसके बावजूद, 22 से अधिक लोगों के खिलाफ आईटी अधिनियम की इस धारा के तहत मुकदमा चलाया गया है। यह आरोप गैर-लाभकारी समूह पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने अपनी याचिका में लगाया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यह 'चौंकाने वाला सच है' कि लोगों को धारा 66(ए) के तहत गिरफ्तार किया गया, जिसे 'असंवैधानिक' घोषित किया जा चुका है।