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Ayodhya Land Dispute Case: राजीव धवन की याचिका पर तमिलनाडु के प्रोफेसर से जवाब तलब

Ayodhya Land Dispute Case मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को मिले धमकी भरे पत्र से जुड़ी अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के प्रोफेसर को नोटिस जारी किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 10:58 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 10:58 AM (IST)
Ayodhya Land Dispute Case: राजीव धवन की याचिका पर तमिलनाडु के प्रोफेसर से जवाब तलब

नई दिल्‍ली, माला दीक्षित। Ayodhya Land Dispute Case मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को मिले धमकी भरे पत्र से जुड़ी अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। अदालत ने तमिलनाडु के प्रोफेसर को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा। कल सुनवाई की शुरुआत में कपिल सिब्बल ने वकील राजीव धवन को मिले धमकी भरे पत्र का उल्‍लेख किया था। उन्होंने इस पर जल्द सुनवाई की मांग की जिस पर मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा था कि इस पर कल विचार किया जाएगा।

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दरअसल, प्रमुख याचिकाकर्ता एम. सिद्दीक तथा ऑल इंडिया सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने एक पूर्व सरकारी अधिकारी के खिलाफ बीते हफ्ते शुक्रवार को अवमानना याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया गया था कि सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी एन. षणमुगम से 14 अगस्त, 2019 को उन्हें एक पत्र मिला था। इसमें उनको मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश होने की वजह से धमकी दी गई थी।

इस याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट अयोध्‍या भूमि विवाद केस की सुनवाई करेगी। कल मुस्लिम पक्ष ने अयोध्या राम जन्मभूमि पर मस्जिद का दावा करके अपने मालिकाना हक की मांग की। संविधान पीठ के सामने सोमवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन और एजाज मकबूल ने हिंदू पक्षकारों की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि वहां ढांचे के नीचे विशाल मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं। बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई थी।

मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों ने आरोप लगाया कि हिंदुओं ने वर्ष 1934 में मस्जिद पर हमला किया, 1949 में वे जबरदस्ती घुसे और 1992 में मस्जिद ढहा दी और अब वे कोर्ट में अपने अधिकारों की रक्षा की दुहाई दे रहे हैं। हाई कोर्ट का आदेश अनुमानों और संभावनाओं पर आधारित है। न्यायाधीश मामले से जुड़े साक्ष्यों को लेकर निश्चित नहीं थे इसलिए उन्होंने भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की खुदाई की आपारंपरिक तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया।  


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