PMLA संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से जवाब तलब
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की ओर से खंडपीठ के समक्ष पेश वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने अदालत को बताया कि पीएमएलए को वर्ष 2015 से मनी बिल के जरिए पारित किया जा रहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांड्रिंग कानून (पीएमएलए) को मनी बिल के जरिए लाने को चुनौती देने की एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की इस याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2015 तक प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) को केवल मनी बिल क के जरिए पारित किया जाता था, इसलिए उसमें नया संशोधन संविधान का उल्लंघन है।
जस्टिस एसए बोबडे और बीआर गवाई की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें रमेश ने दिल्ली हाईकोर्ट के उनकी ऐसी ही एक याचिका को खारिज करने के आदेश को चुनौती है।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की ओर से खंडपीठ के समक्ष पेश वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने अदालत को बताया कि पीएमएलए को वर्ष 2015 से मनी बिल के जरिए पारित किया जा रहा है। जबकि पीएमएलए संशोधनों को वर्ष 2013 तक साधारण बिलों के जरिए ही पारित किया जाता था। लेकिन 2015 से 2018 के बीच उन्हें बतौर मनी बिल पारित किया गया, जो संविधान का उल्लंघन है।
उल्लेखनीय है कि मनी बिल कानून का वह विशेष हिस्सा है जिसमें उसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। इसके अलावा, राज्यसभा केवल कुछ सिफारिशें कर सकती है जिसे निचला सदन (लोकसभा) स्वीकार करे या न करे, यह उसका फैसला होगा। ध्यान रहे कि लोकसभा में प्रचंड बहुमत वाली राजग सरकार को राज्यसभा में अभी तक बहुमत हासिल नहीं हो सका है।
चिदंबरम ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि जयराम रमेश आधार कार्ड वाले मामले में भी याचिकाकर्ता हैं। उन्होंने आधार बिल को भी बतौर मनी बिल पारित करने का विरोध किया है।