Lok Sabha Result 2019: लोकसभा चुनाव के परिणाम की कहानी, आंकड़ों की जुबानी
आंकड़ों की अपनी कहानी होती है। देखने में ये भले सामान्य संख्या लगते हों लेकिन इनके अंदर गूढ़ रहस्य पैबस्त होते हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आंकड़ों की अपनी कहानी होती है। देखने में ये भले सामान्य संख्या लगते हों, लेकिन इनके अंदर गूढ़ रहस्य पैबस्त होते हैं। चुनाव नतीजों के भी आंकड़े ऐसे तमाम राज समाहित किए हुए हैं। इनके अलग-अलग मायनों-आयामों पर एक नजर...
- 197 27 महिलाओं समेत लोकसभा के वर्तमान सदस्यों की संख्या जिन्होंने 2019 के चुनाव में अपनी सीटें बरकरार रखीं
- 145 सीट बरकरार रखने वाले भाजपा सांसद
- 12 बिहार से दोबारा जीतने वाले भाजपा सांसद
- 5 जदयू के दो और लोजप के तीन सांसद दोबारा संसद पहुंचे
- 5 दिल्ली से दोबारा संसद पहुंचने वाले भाजपा सांसदों की संख्या
- 2 तेदेपा से दोबारा चुने जाने वाले वर्तमान सांसद
- 2 असम से दोबारा चुने जाने वाले भाजपा सांसद
- 2 टीआरएस से दोबारा संसद पहुंचने वाले वर्तमान सांसद
- 16 राजस्थान से दोबारा संसद पहुंचने वाले भाजपा सांसद
- 14 महाराष्ट्र से दोबारा संसद पहुंचने वाले भाजपा सांसद
- 15 दोबारा चुने जाने वाले शिवसेना सांसद
- 3 पंजाब से कांग्रेस के दोबारा चुने गए सांसद
- 16 गुजरात से दोबारा संसद पहुंचने वाले भाजपा सांसद
- 5 हरियाणा से भाजपा के दोबारा चुने गए सांसद
- 7 झारखंड से दोबारा चुने गए भाजपा सांसद
- 8 कर्नाटक से दोबारा चुने गए भाजपा सांसद
- 14 तृणमूल के सांसद दोबारा चुने गए
1984 में अपने दो सीट से लोकसभा चुनाव का श्रीगणेश करने वाली भारतीय जनता पार्टी का वोट प्रतिशत 2019 में करीब 38 फीसद से अधिक हो चुका है। आमतौर पर माना जाता है कि इसने कांग्रेस के जनाधार में ही सेंध लगाई। लेकिन आंकड़े एक और भी तस्वीर दिखाते हैं। ये बताते हैं कि 1984 के बाद कांग्रेस का वोट शेयर तो गिरा ही, साथ ही क्षेत्रीय दलों की वोट हिस्सेदारी भी करीब 51 का शीर्ष स्तर छूने के बाद 43 पर सिमट चुकी है। 1984 के बाद हुए चुनाव में गैर कांग्रेस-भाजपा दलों का यह सबसे कम वोट हिस्सेदारी है। कांग्रेस का वोट शेयर 48.1 फीसद से गिरकर 19.5 फीसद पर सिमट चुका है। 2019 के नतीजों में भाजपा ने तीन क्षेत्रीय दलों तृणमूल, राजद और बीजद पर सर्वाधिक असर डाला है।
एक दशक में सर्वाधिक मुस्लिम सांसद
17वीं लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या 27 के साथ एक दशक के शीर्ष पर पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश से छह और पश्चिम बंगाल से छह चुने गए हैं। केरल और जम्मू-कश्मीर में से प्रत्येक से तीन-तीन संसद पहुंचे। असम और बिहार से दो-दो सांसद बने। पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, लक्षद्वीप और तेलंगाना में से प्रत्येक से एक-एक मुस्लिम सांसद लोकसभा पहुंचे। देश की 130 करोड़ आबादी में से 20 फीसद मुस्लिम है। ऐसे में इनकी ये भागीदारी ऊंट के मुंह में जीरा समान है।
लहर पर सवार चरण दर चरण भाजपा
तमाम चुनाव विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा के लिए इस चुनाव में अंडरकरेंट था। आंकड़ों से भी ऐसा प्रतीत होता है। पहले चरण के चुनाव में भाजपा के वोट शेयर में 1.9 फीसद इजाफा हुआ। दूसरे में 3.7 और तीसरे में 6.5 फीसद वृद्धि दिखी। छठे चरण तक यह बढ़ोतरी 12.8 फीसद तक जा पहुंची। आखिरी चरण जरूर अपवाद साबित हुआ। भले ही इस चरण में पंजाब सरीखा राज्य रहा हो, फिर भी भाजपा के वोट शेयर में 7.6 फीसद की हिस्सेदारी रही। दूसरे चरण में कांग्रेस के वोट शेयर में भी 1.9 फीसद का इजाफा दिखा लेकिन सात में से तीन चरणों में इसमें गिरावट दिखी।
नोटा का दबा बटन
किसी लोकसभा क्षेत्र में जिसे कोई भी उम्मीदवार नहीं पसंद आया उसने नोटा (इनमें से कोई नहीं) का बटन दबाया। यह बटन दबाने में बिहार शीर्ष पर रहा। यहां 8.17 लाख मतदाताओं ने सभी उम्मीदवारों को खारिज कर दिया। यह कुल पड़े वोटो में इनकी हिस्सेदारी दो फीसद रही। दमन और दीव में 1.7 फीसद, आंध्र प्रदेश में 1.49 फीसद, छत्तीसगढ़ में 1.44 फीसद रही। 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर नोटा को करीब 60 लाख वोट मिले थे। यह कुल डाले गए मतों का 1.1 फीसद था। प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में नोटा को 4037 (0.38 फीसद) वोट मिले। राहुल गांधी की लोकसभा सीट वायनाड में 2155 (0.2 फीसद) वोट पड़े। अमित शाह के चुनाव क्षेत्र गांधीनगर में 14,214 (1.11) वोट नोटा को गए। रविशंकर प्रसाद की पटना साहिब सीट पर 5076 (0.52) वोट नोटा को गए।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप