करुणानिधि के बेटे स्टालिन का पिता के नाम खत, लिखा- हमें लड़खड़ाता छोड़ कहां चले गए?
द्रविड़ राजनीति के आधार स्तंभ द्रमुक के प्रमुख नेता एम करुणानिधि का 7 अगस्त 2018 को निधन हो गया। वह 94 साल के थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष मुथुवेल करुणानिधि अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन पर देशभर में शोक है। लेकिन करुणानिधि का परिवार इस समय जिस दुख और तकलीफ से गुजर रहा है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इस बीच करुणानिधि के बेट एमके स्टालिन ने पिता से जुदा होने के दुख को शब्दों में बयां करने की कोशिश करते हुए एक पत्र लिखा है।
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने आखिरकार एक नेता और कार्यकर्ता की भूमिका से आगे बढ़ते हुए एक बेटे के नाते दिवंगत कलाईनार से उन्हें 'अप्पा' कहने की इजाजत मांगते हुए बेहद मार्मिक खत लिखा है।
इस मार्मिक खत स्टालिन ने लिखा, ' आप जहां भी जाते थे, उस जगह के बारे में मुझे बताते थे। अब आप मुझे बिना बताए कहां चले गए? आप हमें लड़खड़ाता छोड़ कहां चले गए? 33 साल पहले आपने बताया था कि आपकी स्मृति में क्या लिखा जाना चाहिए।' उन्होंने लिखा, 'यहां वह शख्स लेटा है जिसने सारी जिंदगी बिना थके काम किया। क्या अब आपने तय कर लिया है कि आप तमिल समाज के लिए काम कर चुके हैं? या क्या आप कहीं छिप कर देख रहे हैं कि क्या कोई आपके 80 साल के सामाजिक जीवन की उपलब्धियों को पीछे छोड़ सकता है? 3 जून को अपने जन्मदिन पर मैंने आपसे आपकी क्षमता का आधा मांगा था, क्या अब आप अरिग्नार अन्ना से मिले? अपने दिल को भी मुझे देंगे? क्योंकि उस बड़े दान से हम आपके आधूरे सपनों और आदर्शों को पूरा करेंगे।'
खत के आखिर में स्टालिन ने करुणानिधि को एक आखिरी बार 'पिता' कहने की इजाजत मांगी, तो जिसने भी इसे पढ़ा उसकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने लिखा- 'करोड़ों उडनपिरपुक्कलों (डीएमके काडर) की ओर से मैं आपसे अपील करता हूं कि बस एक बार 'उडनपिरप्पे' बोल दीजिए और हम एक सदी तक काम करते रहेंगे। मैं आपको अप्पा कहने की जगह अपने जीवन में ज्यादातर समय 'थलाइवर' (नेता) कहता रहा। क्या कम से कम अब मैं आपको अप्पा कह सकता हूं?'
द्रविड़ राजनीति के आधार स्तंभ द्रमुक के प्रमुख नेता एम. करुणानिधि का 7 अगस्त 2018 को निधन हो गया। वह 94 साल के थे। करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को तिरुक्कुभलइ में हुआ था। तमिलनाडु की राजनीति के सबसे करिश्माई नेताओं में गिने जाने वाले करुणानिधि पांच बार मुख्यमंत्री रहे। 13 बार विधानसभा सदस्य रहे करणानिधि के नाम हर चुनाव में अपनी सीट न हारने का रिकॉर्ड भी रहा।