अयोध्या मामला सुन रहे विशेष जज ने प्रोन्नति को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
विशेष जज ने कहा है कि ट्रायल पूरा न होने तक न्यायाधीश का स्थानांतरण न करने का आदेश उनकी प्रोन्नति में आड़े आ रहा है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या में ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे लखनऊ के विशेष जज अयोध्या प्रकरण सुरेन्द्र कुमार यादव गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। विशेष जज ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि अयोध्या मामले का ट्रायल निपटने तक जज का स्थानांतरण न किये जाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश उनकी प्रोन्नति में आड़े आ रहा है। उन्होंने कोर्ट से आदेश मे बदलाव करने और हाईकोर्ट को उन्हें जिला जज पद पर प्रोन्नत करने का आदेश देने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट इस अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
ढांचा विध्वंस मामला सुन रहे विशेष जज ने दाखिल की अर्जी
सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 19 अप्रैल को लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित भाजपा और वीएचपी के 14 नेताओं के खिलाफ अयोध्या में ढांचा ढहाने की साजिश का मुकदमा चलाए जाने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने नेताओं का मुकदमा रायबरेली की अदालत से अयोध्या प्रकरण की सुनवाई कर रहे लखनऊ के विशेष जज की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। साथ ही रोजाना सुनवाई कर दो साल में ट्रायल पूरा करने और ट्रायल पूरा होने तक न्यायाधीश का स्थानांतरण न किये जाने का भी आदेश दिया था।
प्रोन्नति में आड़े आ रहा है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
विशेष जज ने अर्जी मे कहा है कि ट्रायल पूरा न होने तक न्यायाधीश का स्थानांतरण न करने का आदेश उनकी प्रोन्नति में आड़े आ रहा है। कहा है कि गत 1 जून को हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों के स्थानांतरण और प्रोन्नति की अधिसूचना निकाली थी उसमें उनका प्रोन्नति के साथ स्थानांतरण किया गया था। उन्हें बदायूं का जिला एवं सत्र न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, लेकिन उसी दिन एक और अधिसूचना निकली और उसमे उनका स्थानांतरण और प्रोन्नति अगले आदेश तक निरस्त कर दी गई। निरस्त आदेश इस आधार पर जारी हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि जब तक अयोध्या मामले का ट्रायल पूरा नहीं होता तबतक जज का स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। विशेष जज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से वह और उनका परिवार प्रभावित हो रहा है।
कहा है कि वह 8 जून 1990 को मुंसिफ मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए थे। 28 साल का उनका बेदाग कैरियर है। उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा से काम किया। अब वह 59 साल की सेवा पूरी कर सेवानिवृति के मुकाम पर पहुंचने वाले हैं। उनके साथ नियुक्त हुए सहयोगी और कनिष्ठ जिला जज नियुक्त हो चुके हैं, लेकिन उनकी प्रोन्नति नकार दी गई है वे अभी भी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अयोध्या प्रकरण) पद पर काम कर रहे हैं। हाईकोर्ट वेबसाइट पर जारी सूची के मुताबिक 1 जून की अधिसूचना में स्थानांतरित न्यायिक अधिकारियों ने जिला जज पद का कार्यभार संभाल लिया है जबकि बदायूं के जिला जज का पद अभी भी उनके लिए खाली पड़ा है।
विशेष जज ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की इस तरह व्याख्या न की जाए कि अयोध्या प्रकरण की सुनवाई कर रहे जज की प्रोन्नति ही न हो जबकि उन्हें सेवा नियमों में इसका अधिकार है। प्रोन्नति न होने से उन्हें न भरपाई होने वाला नुकसान होगा।
जज ने बताई मुकदमे की स्थिति
- अभियुक्तों पर आरोप तय हो चुके हैं ट्रायल चल रहा है।
- 1026 में से 313 गवाहों का हो चुका है परीक्षण
- 73 गवाह डिस्चार्ज कर दिये गए हैं
- 81 गवाहों का पता नहीं चल पा रहा है
- 88 गवाहों की मौत हो चुकी है
- 473 गवाहों का अभी परीक्षण होना है।