बांग्लादेश से आकर असम में बसने वाले मुस्लिम घुसपैठिये हैं न कि शरणार्थीः जेटली
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संप्रभुता और नागरिकता देश की मूल आत्मा होती है, आयातित वोटबैंक नहीं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एनआरसी की मसौदा रिपोर्ट को लेकर उठ रहे विरोध पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आड़े हाथों लिया है। जेटली ने दोनों नेताओं को देश की संप्रभुता से खिलवाड़ के प्रति आगाह किया है। जेटली ने कहा कि संप्रभुता और नागरिकता देश की मूल आत्मा होती है, आयातित वोटबैंक नहीं।
अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में इंदिरा गांधी के 1972 के बांग्लादेश के समझौते और 1985 के राजीव गांधी के असम समझौते का हवाला देते हुए कहा कि दोनों में ही 25 मार्च 1971 के बाद असम में आए अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की बात कही गई थी। दोनों ही समझौता कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने की थी, लेकिन उसी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी अब एनआरसी की मसौदा रिपोर्ट का विरोध कर रहे हैं।
जेटली ने ममता बनर्जी को भी चार अगस्त 2005 को लोकसभा में दिये गए भाषण को याद दिलाया है। इसमें ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या उठाते हुए उस पर सदन के भीतर बहस की मांग की थी। जेटली ने ऐसे अस्थिर मानसिकता वालों के हाथों में देश की संप्रभुता बचाने की जिम्मेदारी सौंपे जाने पर सवाल उठाया। उनका इशारा ममता बनर्जी के 2019 में भाजपा के खिलाफ विपक्ष के फेडरल फ्रंट का नेतृत्व संभालने और राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद के दावे की ओर था।
अरुण जेटली ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीबुर रहमान का हवाला देते हुए बताया कि किस तरह आजादी के बाद से ही पाकिस्तान की नजर असम को हथियाने को लेकर थी। जेटली के अनुसार असम के कुछ जिलों में जिस तरह से आबादी के अनुपात में परिवर्तन आया है। वह भारत की संप्रभुता के लिए खतरनाक हो सकता है। दुनिया में कट्टरपंथी मुस्लिम विचारों के फैलाव को देखते हुए वे धर्म के आधार पर अपने हिस्से को बांग्लादेश में शामिल करने की मांग सकते हैं। इससे पूर्वोत्तर भारत पूरी तरह कट सकता है।
जेटली ने संविधान में नागरिक और मानवाधिकार अधिकार के अलग-अलग होने का भी हवाला दिया। उनके अनुसार अनुच्छेद 21 में देश में रहने वाले विदेशी समेत सभी लोगों को जीवन का मौलिक अधिकार मिलता है। जबकि अनुच्छेद केवल अपने नागरिकों को देश में कहीं भी घूमने-फिरने और काम करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने एनआरसी का विरोध कर रहे नेताओं को शरणार्थी और घुसपैठिये का अंतर भी समझाया और बताया कि बांग्लादेश से आकर असम में बसने वाले मुस्लिम घुसपैठिये हैं न कि शरणार्थी।