सोनिया गांधी की बैठक में आधी अधूरी रही विपक्षी एकता, केंद्र पर लगाया गुमराह करने का आरोप
प्रस्ताव पारित कर विपक्ष ने कहा आर्थिक मंदी बेकारी और महंगाई से ध्यान हटाने को सरकार सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर देश को बांट रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नागरिकता संशोधन कानून के साथ एनआरसी-एनपीआर पर विपक्षी की साझा लड़ाई को टीएमसी, सपा, बसपा और आप ही नहीं शिवसेना ने भी झटका दे दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बुलाई बैठक से इन दलों ने दूरी बनाई। मगर बैठक में शामिल हुई 20 विपक्षी पार्टियों ने सीएए को वापस लेने की मांग करते हुए एनपीआर प्रक्रिया को भी स्थगित करने की आवाज उठाई। विपक्ष शासित सभी 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपने राज्यों में एनपीआर प्रक्रिया शुरू नहीं करने की अपील भी की गई है।
केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा गया कि अर्थव्यवस्था, महंगाई और बेरोजगारी की बेहद गंभीर हालत से ध्यान बंटाने के लिए सरकार सीएए-एनआरसी-एनपीआर का विभाजनकारी एजेंडा लागू कर रही है। सोनिया गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर हमला करते हुए कहा कि वे सीएए-एनआरसी पर देश को गुमराह कर रहे हैं।
संसदीय सौध में विपक्षी दलों की हुई इस बैठक में पारित संयुक्त प्रस्ताव में विपक्ष शासित 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर प्रक्रिया रोकने की अपील सबसे अहम सियासी कदम रहा। साथ ही देश भर में सीएए-एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को अपना राजनीतिक और नैतिक समर्थन देने की बात कहते हुए फैसला लिया गया कि विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरीके से इसके लिए कार्यक्रम का आयोजन करेंगी।
सीएए के विरोध की लंबी तैयारी
23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्म दिन पर 'जय हिन्द' के नारे के साथ सीएए के खिलाफ प्रतिरोध होगा तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर संविधान पर प्रहार की मुखालफत की जाएगी। जबकि 30 जनवरी को गांधीजी की शहादत दिवस के मौके पर विपक्षी पार्टियां उनके सर्वधर्म समभाव के संदेश के सहारे सरकार पर सीएए को वापस लेने का नैतिक दबाव डालेंगी।
नहीं आए कई महत्वपूर्ण दल
विपक्षी पार्टियों में इन मुद्दों पर सहमति तो बनी मगर हकीकत यह भी रही कि कई महत्वपूर्ण दल बैठक में नहीं आए। ममता बनर्जी और मायावती ने तो पहले ही नहीं आने की घोषणा कर दी थी। सपा भी इसी राह चली। जबकि विपक्षी खेमे के नये सदस्य बने शिवसेना ने कहा कि उसे बैठक के लिए संदेश ही नहीं मिला। टीडीपी के साथ द्रमुक की अनुपस्थिति भी हैरत भरी रही। जबकि दिल्ली के चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने भी बैठक में जाना मुनासिब नहीं समझा।
बैठक में कौन-कौन पहुंंचा
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सपा, बसपा हो या टीएमसी भले ये बैठक में नहीं आए हों मगर सीएए-एनआरसी के खिलाफ हैं और इस पर उनका समर्थन हासिल है। सोनिया गांधी की बुलाई इस बैठक में शरद पवार, येचुरी, झारखंड के मुख्यमंत्री जेएमएम नेता हेमंत सोरेन, शरद यादव, राजद के मनोज झा आदि विपक्ष के प्रमुख चेहरों में शामिल थे। कांग्रेस की ओर से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के साथ आजाद और अहमद पटेल बैठक में शरीक हुए।
एनपीआर को सरकार बना रही एनआरसी की बुनियाद: सोनिया
विपक्षी दलों की बैठक को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि सीएए-एनआरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह लगातार लोगों को गुमराह कर रहे हैं। जबकि दूसरी ओर भड़काऊ बयानों के जरिए लगातार अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दे रहे और विरोध करने वालों के खिलाफ सत्ता की ताकत का चाबुक चलाया जा रहा है। संविधान की अनदेखी कर जेएनयू, एएमयू, बीएचयू से लेकर तमाम शिक्षण संस्थानों में छात्रों के खिलाफ बल प्रयोग कर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
धर्म के आधार पर लोगों को बांटने का आरोप
सोनिया ने कहा कि सरकार धर्म के आधार पर लोगों को बांट रही है। जबकि असली मुद्दा आर्थिक गतिविधियों और विकास का धराशायी होना जिससे गरीब व आम आदमी जूझ रहा है। मगर मोदी-शाह के पास इन मुद्दों का कोई जवाब नहीं है और इसीलिए वे बांटने वाले मुद्दे उठाकर देश में सांप्रदायिक धु्रवीकरण का प्रयास कर रहे हैं। विपक्षी दल मिलकर सरकार के इस मंसूबे को नाकाम करेंगे। सोनिया ने कहा कि एनआरसी असम में नाकाम साबित हुआ और मोदी-शाह की सरकार अब एनपीआर पर फोकस कर रही है। सरकार के फोकस से साफ है कि वह एनपीआर को एनआरसी की बुनियाद बना रही है।