Move to Jagran APP

छत्तीसगढ़ की कुछ सीटें हर चुनाव में बदल देती हैं नेता और पार्टी, आप भी देखें

छत्तीसगढ़ की सात विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां से कोई भी दल लगातार दो बार नहीं जीत पाया है। इन सीटों के वोटर एक बार भाजपा का भगवा थामते हैं तो अगली बार कांग्रेस का तिरंगा उठा लेते हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 11:39 AM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 03:27 PM (IST)
छत्तीसगढ़ की कुछ सीटें हर चुनाव में बदल देती हैं नेता और पार्टी, आप भी देखें
छत्तीसगढ़ की कुछ सीटें हर चुनाव में बदल देती हैं नेता और पार्टी, आप भी देखें

रायपुर [संजीत कुमार]। छत्तीसगढ़ की सात विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां से कोई भी दल लगातार दो बार नहीं जीत पाया है। इन सीटों के वोटर एक बार भाजपा का भगवा थामते हैं तो अगली बार कांग्रेस का तिरंगा उठा लेते हैं। यानी एक बार कांग्रेस तो दूसरी बार भाजपा जीतती है। यह परंपरा 1998 से 2013 तक हुए चारों चुनावों में कायम रही है। इनमें से तीन सीटें ऐसी हैं, जहां दोनों दल प्रत्याशी ही नहीं बदल रहे हैं। इससे इन सीटों पर हर बार जितना दिलचस्प मुकबला होता है, उससे कहीं ज्यादा रोचक परिणाम होता है।

loksabha election banner

एक ही चेहरा, लेकिन बदल जाता है वोट का अंतर

भिलाई सीट पर हर बार कांग्रेस के बदस्र्द्दीन कुरैशी और प्रेम प्रकाश पांडेय के बीच मुकाबला होता है। इस बार यहां से पांडेय 17 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीते हैं। इससे पहले कुरैशी 88 सौ वोट से जीते थे। 2003 का चुनाव पांडेय 15 हजार वोट के अंतर से जीते थे।

हर बार रंग बदल रहा

रायगढ़:-

कांग्रेस- 1998 में यहां से कांग्रेस के कृष्ण कुमार ने भाजपा के रौशन लाल को हराया। जीत का अंतर 1884 वोट का था।

भाजपा- 2003 में भाजपा के विजय अग्रवाल ने कृष्ण कुमार को 8439 मतों से हरा दिया।

कांग्रेस- 2008 में कांग्रेस के डॉ. शक्रजीत नायक ने भाजपा के विजय अग्रवाल को 12944 मतों से हरा दिया।

भाजपा- 2013 में भाजपा के रौशनलाल ने कांग्रेस के डॉ. नायक को 20592 वोट से हराया।

बिल्हा:-

भाजपा-1998 में भाजपा के धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस के अशोक राव को 10342 से पटखनी दी।

कांग्रेस- 2003 में कांग्रेस के सियाराम कौशिक ने धरमलाल को 6551 हरा दिया।

भाजपा- 2008 में धरमलाल ने 6070 वोट से सियाराम को मात दे दी।

कांग्रेस- 2013 इस बार सियाराम ने धरमलाल को 10968 वोट से हराया।

चाम्पा:-

भाजपा- 1998 भाजपा के नारायण प्रसाद चंदेल ने कांग्रेस के मोतीलाल को हराया। मतों का अंतर 6679 रहा।

कांग्रेस- 2003 मोतीलाल ने नारायण प्रसाद को 7710 वोट से हरा दिया।

भाजपा- 2008 नारायण चंदेल ने 1190 वोट से मोतीलाल को हराया।

कांग्रेस- 2013 मोती लाल ने नारायण चंदेल को 10211 वोट से मात दी।

बसना:-

कांग्रेस- 1998 में कांग्रेस के महेन्द्र बहादुर सिंह भाजपा के त्रिविक्रम भोई को 7049 वोट से हराया।

भाजपा- 2003 में भाजपा के डॉ. त्रिविक्रम ने महेन्द्र बहादुर को हरा दिया। वोटो का अंतर 2403 रहा।

कांग्रेस- 2008 में महेन्द्र बहादुर सिंह ने भाजपा के प्रेमशंकर पटेल को 15907 हरा दिया।

भाजपा- 2013 में भाजपा की स्र्पकुमारी चौधरी ने देवेन्द्र बहादुर 6239 से मात दी।

राजिम:-

कांग्रेस- 1998 में कांग्रेस के श्यामाचरण शुक्ल ने भाजपा की नीना सिंह को 23019 मतों से हराया।

भाजपा- 2003 में कांग्रेस के अमितेष शुक्ल भाजपा के चंदूलाल साहू से 11876 वोट के अंतर से हार गए।

कांग्रेस- 2008 कांग्रेस के अमितेष शुक्ल 3916 वोट से जीते, भाजपा के संतोष उपाध्याय दूसरे नंबर पर रहे।

भाजपा- 2013 भाजपा के संतोष उपाध्याय ने अमितेष को 2441 वोट से हराया।

सिहावा:-

कांग्रेस- 1998 में कांग्रेस के माधव सिंह धु्रव ने भाजपा के गुलजार सिंह मरकाम को 1762 वोट से हराया।

भाजपा- 2003 में भाजपा की पिंकी धु्रवा ने माधव सिंह को हरा 16065 वोट से मात दी।

कांग्रेस- 2008 कांग्रेस की अंबिका मरकाम ने पिंकी धु्रवा को 14896 वोट से हराया।

भाजपा- 2013 भाजपा के श्रवण मरकाम ने अंबिका को 7487 वोट से हराया।

भिलाई:-

कांग्रेस- 1998 में कांग्रेस के बदस्र्द्दीन कुरैशी ने भाजपा के प्रेम प्रकाश पांडेय को 5561 वोट से हराया।

भाजपा- 2003 में प्रेम प्रकाश ने बदस्र्द्दीन को 15004 वोट से पटखनी दे दी।

कांग्रेस- 2008 में कांग्रेस के बदस्र्द्दीन ने भाजपा के प्रेम प्रकाश पर 8863 वोट से जीत दर्ज की।

भाजपा- 2013 में भाजपा के प्रेम प्रकाश 17106 वोट से बदस्र्द्दीन को हरा दिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.