UP में भी हो चुका है महाराष्ट्र जैसा सियासी ड्रामा, एक दिन में ही गंवानी पड़ी थी CM की कुर्सी Gorakhpur News
महाराष्ट्र जैसी परिस्थितियों के बीच कभी जगदंबिका पाल भी UP के CM बने थे। पाल बमुश्किल एक दिन ही CM रहे और हाईकोर्ट के आदेश पर कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
गोरखपुर, ब्रजेश पांडेय। महाराष्ट्र में बदलते सियासी परिदृश्य ने डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल को भी चर्चा में ला दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को पद की शपथ लेने के बाद तीसरे दिन इस्तीफा दे दिया। इन्हीं परिस्थितियों के बीच कभी पाल भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। पाल बमुश्किल एक दिन मुख्यमंत्री रहे और हाईकोर्ट के आदेश पर कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। बाद में कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। सांसद जगदंबिका पाल कहते हैं कि उनके राजनीतिक जीवन की यह ऐतिहासिक घटना थी, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
वन डे वंडर ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स की राजनीति में पाल का नाम कभी सुर्खियों में रहा। बात उत्तर प्रदेश के 13वींं विधानसभा के राजनीतिक गलियारों की है। 21 फरवरी 1998 को दलबदल को लेकर बहुमत साबित करने की जद्दोजहद चल रही थी। माहौल तनावपूर्ण देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने केंद्र से यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी, लेकिन केंद्र ने इससे इनकार कर दिया। कल्याण सिंह ने बाहर से आए विधायकों को मंत्री बना कर देश के इतिहास में यूपी का सबसे बड़ा मंत्रिमंडल बना दिया। इसमें 93 मंत्री रखे गए।
वहीं, इससे नाराज दूसरे राजनीतिक दलों ने कल्याण सरकार का तख्ता पलट करने की योजना बना ली। कल्याण सिंह को उस समय झटका लगा जब बसपा से आए विधायकों के समर्थन को राज्यपाल रोमेश भंडारी ने मान्यता देने से इनकार कर दिया। उन्होंने रातोंरात कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करते हुए जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी। राज्यपाल की कार्रवाई के विरोध में भाजपा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने जगदंबिका पाल की सरकार को असंवैधानिक घोषित किया था।