सादगी की मिसाल: खेतों में धान की रोपाई करतीं महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष व सांसद फूलोदेवी नेताम
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य फूलोदेवी ने बताया कि किसानी उनका मूल पेशा है। खेतों में रोपाई फसल कटाई व मिसाई सभी काम वह बखूबी करती हैं।
भरत भारद्वाज, फरसगांव। एक तरफ जब राजनीति में सादगी और सरलता घटती जा रही है, बस्तर से सुखद तस्वीर सामने आई है। राज्यसभा सदस्य और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम बुधवार को खेतों में धान की रोपाई करती नजर आई। जिस किसी ने भी यह दृश्य देखा, उसके मन में उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया। अनलॉक-1 में वे दौरा रद कर खेतों में जिस तरह से पसीना बहा रही हैं, वह उनके जमीन के प्रति जुड़ाव को बता रहा है।
फूलोदेवी नेताम बस्तर की लोकप्रिय नेता गाइड लाइन का कर रहीं पालन, सभी दौरा किया रद
फूलोदेवी नेताम बस्तर की लोकप्रिय नेत्रियों में शामिल हैं। उन्होंने जनसेवा की बदौलत ही लोगों के दिलों में जगह बनाई है। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस में उनका कद काफी ऊंचा है। कोरोना संकट काल में उन्होंने गाइड लाइन का पालन करते हुए अंचल का सभी दौरा रद कर दिया है। अनलॉक-1 में भी वह एहतियात बरत रही हैं। इन दिनों वे घर में रहकर ही जनसमस्याओं का निराकरण कर रही हैं।
सांसद फूलोदेवी खेत में धान की रोपाई करने जुटी
पिछले कुछ दिनों से अंचल में लगातार बारिश हो रही है। खेतों में पर्याप्त पानी भर गया है, जिसके चलते किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। ऐसे में अपने गृह क्षेत्र फरसगांव में फूलोदेवी नेताम अपने खेत में धान की रोपाई करने जुटी रहीं। इस दौरान उनके परिजनों व मजदूरों भी थे, जो शारीरिक दूरी का पालन करते हुए रोपा लगा रहे थे।
खेती के सभी काम में लेती हैं भाग
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य फूलोदेवी ने बताया कि किसानी उनका मूल पेशा है। खेतों में रोपाई, फसल कटाई व मिसाई सभी काम वह बखूबी करती हैं। वे कहती हैं कि सांसद बनने का मतलब यह नहीं है कि अपनी जड़ों से कट जाया जाए। खेती से जुड़े काम बचपन से ही करने की बात उन्होंने कही। बताया कि सांसद चुने जाने के पहले विभिन्न पदों पर रहते हुए भी वे खेती के अपने मूल काम से कभी पीछे नहीं हटीं। बस्तर की लोकप्रिय नेत्री इस साल मार्च में फूलोदेवी नेताम और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए। इसके पहले फूलोदेवी वर्ष 1998 से 2003 तक विधायक रहीं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वह प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। उन्होंने कांकेर लोकसभा सीट से वर्ष 2014 का चुनाव लड़ा, पर मोदी लहर में पराजित हो गई। वर्ष 2018 में उन्हें विधानसभा का टिकट नहीं मिल पाया था। वे बस्तर की लोकप्रिय नेत्रियों में शुमार हैं।