रविशंकर का बड़ा हमला, कहा- कांग्रेस ने 25 साल तक सिख विरोधी दंगों में शामिल लोगों को बचाया
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर सिख विरोधी दंगो के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया।
दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर सिख विरोधी दंगो के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने सिख विरोधी दंगों पर मंगलवार को कोर्ट द्वारा एक व्यक्ति को फांसी और एक अन्य को उम्रकैद पर संतोष व्यक्त किया। रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि क्यूंकि सिख विरोधी दंगो में कांग्रेस के नेता शामिल थे इसलिए कांग्रेस ने पिछले 25 सालों में इनको बचाने का भरपूर प्रयास किया।
प्रसाद ने कहा, 'कांग्रेस ने लगभग 25 साल सत्ता में रहने के दौरान सिखों को न्याय दिलाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। ये बयान ज़ख्मों पर नामक लगाने वाला था। कांग्रेस पार्टी ने राजीव गांधी के बयान से खुद को अलग नहीं किया। पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने बहुत दबाव के बाद माफ़ी मांगी थी।'
रवि शंकर प्रसाद ने आगे बताया कि सिख बंधुओं को न्याय दिलाने के क्रम में पहला बड़ा काम अटल बिहारी वाजपेयी ने नानावटी कमीशन बनाकर किया था। नानावटी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि योजनाबद्ध तरीके से सिक्खों को मारा गया था। नानावटी कमीशन को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर के खिलाफ सबूत मिले थे। 2004 में बीजेपी सरकार जाने के बाद उस पर कोई काम नहीं हुआ। 2014 में बीजेपी सरकार बनने के बाद सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। जो कल कोर्ट ने दो लोगों को सजा सुनाई है। वो एसआईटी जांच के कारण सम्भव हो सका है।
रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि सबसे पहले 1984 सिख विरोधी दंगो की जांच करने के लिए वेद मारवाह कमीशन बनाया गया था। वेद मारवाह कमीशन सही दिशा में बढ़ रहा था तभी गृह मंत्रालय ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। 1985 में इसके बाद रंगनाथ मिश्रा कमीशन बना। रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने सिख विरोधी दंगों को संगठित अपराध बताने से इंकार कर दिया था। अपनी रिपोर्ट में रंगनाथ कमीशन ने बताया कि कुछ अफसरों ने ठीक से काम नहीं किया। रंगनाथ मिश्रा को बाद में कांग्रेस ने राज्य सभा भेजा। कपूर मित्तल कमिटी ने 72 पुलिस कर्मियों को दोषी बताया था। लेकिन उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज ने कुछ राजनीतिज्ञों के खिलाफ केस की सिफारिश की थी। जिसमें सज्जन कुमार के आलावा कुछ अन्य नेताओं के नाम शामिल थी। लेकिन इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।