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सीबीआइ डायरेक्टर बनने वाले मप्र कैडर के पहले पुलिस अफसर हैं शुक्ला

पुलिस कल्याण के लिए शुक्ला ने काफी काम किया। शुक्ला ने सााप्ताहिक अवकाश व्यवस्था को लेकर शिवराज सरकार के समय सरकार तक अपनी बात पहुंचाई।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 09:36 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 11:34 PM (IST)
सीबीआइ डायरेक्टर बनने वाले मप्र कैडर के पहले पुलिस अफसर हैं शुक्ला

रवींद्र कैलासिया, भोपाल। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के प्रमुख बनाए गए ऋषि कुमार शुक्ला मध्य प्रदेश कैडर के 1983 बैच के आइपीएस अपसर हैं। वह मप्र कैडर के पहले पुलिस अफसर हैं, जिन्हें सीबीआइ डायरेक्टर बनाया गया है। हालांकि, मप्र कैडर के आइपीएस अधिकारी अनिल धस्माना रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), एनके त्रिपाठी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) और आसिफ इब्राहिम खुफिया जांच एजेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी)के प्रमुख रह चुके हैं। गौरतलब है कि मध्य भारत के पुलिस प्रमुख रहे डीपी कोहली को सीबीआइ के संस्थापक प्रमुख बनाया गया था। तब के मध्य भारत का आज का मप्र एक हिस्सा रहा है।

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अधीनस्थों में लोकप्रिय पूर्व डीजीपी और मप्र पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष शुक्ला कई अहम पदों पर रह चुके हैं। मप्र के मौजूदा अधिकारियों में वरिष्ठतम अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला तीन दिन पहले डीजीपी से हटाए गए थे। ग्वालियर के रहने वाले शुक्ला को 1983 में आइपीएस में आने के बाद पहली पदस्थापना अविभाजित मप्र के रायपुर में मिली थी। वह आइबी में एसपी से लेकर संयुक्त निदेशक स्तर तक के पदों पर रहे। उन्होंने मप्र में इंटेलीजेंस शाखा के प्रमुख के रूप में करीब सवा तीन साल काम करने के साथ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में भी दो साल सेवा दी।

शुक्ला का नाम सीबीआइ चीफ बनाए जाने वाले अधिकारियों के पैनल में काफी समय से था और डीजीपी पद से हटने के बाद उन्हें डायरेक्टर सीबीआइ बनाए जाने की संभावना ज्यादा बन गई थी। करीब ढाई साल तक डीजीपी रहे शुक्ला के ससुर डीपी खन्ना भी मप्र के पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं।

पुलिस कमिश्नर व्यवस्था की पहल

शुक्ला के कार्यकाल में मप्र में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू करने की कवायद कैबिनेट तक पहुंची थी, लेकिन शिवराज सरकार के कार्यकाल का अंतिम समय होने से राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना फिर पुलिस कमिश्नर व्यवस्था फाइलों में कैद हो गई। शुक्ला ने सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के करीब एक साल पहले पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू करने की कवायद शुरू की थी, लेकिन आइएएस-आइपीएस लॉबी की खींचतान में फाइल दब गईं। वहीं, सिमी जेल ब्रेक जैसी घटना भी उनके कार्यकाल में हुई, जिसमें सिमी कार्यकर्ताओं का एनकाउंटर किया गया था।

पुलिस को सााप्ताहिक अवकाश की शुरुआत

पुलिस कल्याण के लिए शुक्ला ने काफी काम किया। काम के दबाव के कारण पुलिसकर्मियों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने के कारण शुक्ला ने सााप्ताहिक अवकाश व्यवस्था को लेकर शिवराज सरकार के समय सरकार तक अपनी बात पहुंचाई। सरकार ने सााप्ताहिक अवकाश लागू करने का एलान भी किया, जिसे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में शामिल कर अब उसे लागू किया है।

काम में रुचि पैदा करने की खूबी

शुक्ला के साथ काम करने वाले अफसरों ने बताया कि वह पुलिस के व्यावसायिक स्तर को बहुत ऊपर ले जाते थे। अधीनस्थों को इस तरह काम देते थे कि उनमें काम के प्रति रुचि बनी रहे। वह अधीनस्थों को परिवार की तरह मानते थे, जिसका उदाहरण हाल ही में उनके संदेश में भी झलका। डीजीपी पद छोड़ने के बाद उन्होंने पहले सिपाही से लेकर निरीक्षक स्तर तक के अधिकारियों को लिखित संदेश भेजा। एक फरवरी को वंदे मातरम गायन के दौरान प्रत्यक्ष रूप से पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) में उनके काम की सराहना की गई।

कहां-कहां संभाली कमान

रायपुर-सहायक पुलिस अधीक्षक व नगर पुलिस अधीक्षक

भिलाई- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक

दमोह, शिवपुरी व मंदसौर- पुलिस अधीक्षक

पीटीएस इंदौर- पुलिस अधीक्षक

पीएचक्यू भोपाल- एआइजी प्रशासन

गृृह विभाग भोपाल- अपर सचिव

महानिरीक्षक- ईओडब्ल्यू, एसएएफ, कानून व्यवस्था व एसटीएफ

एडीजी- रेल व नारकोटिक्स, गुप्तवार्ता, एसएएफ व होमगार्ड

डीजी- होमगार्ड, अध्यक्ष पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन

पुलिस मुख्यालय- ओएसडी और डीजीपी।


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