एफएटीएफ की काली सूची से बचने व अमेरिकी मदद के लिए सईद पर कार्रवाई का दिखावा
आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाक को दूसरे लोग मिल गये हैं। पाकिस्तान में पहले भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा होता रहा है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत पिछले एक दशक से पाकिस्तान सरकार पर यह दबाव बनाता रहा है कि वह हाफिज सईद पर कार्रवाई करे, लेकिन उसने एक नहीं सुनी। अब जब उसे लगने लगा कि ऐसा करने से उसे कुछ बाहरी मदद मिल सकती है या ऐसा नहीं करने से उस पर आर्थिक दबाव और बढ़ेगा तो कुछ ही महीनों के अंदर उसे 11 वर्षो की सजा भी सुना दी गई।
सईद पर कार्रवाई के पीछे दो वजह 1- एफएटीएफ सूची से बचना, 2- यूएस से आर्थिक सैन्य मदद लेना
इसके पीछे दो मुख्य वजह बताई जा रही हैं। एक तो कुछ ही दिन बाद पेरिस में होने वाली फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में प्रतिबंधित सूची से बचना और दूसरा है अमेरिका से आर्थिक सैन्य मदद हासिल करना, लेकिन हाफिज के जेल में जाने के बावजूद भारत पाकिस्तान के आतंकी करतूतों को लेकर नरमी बरतने नहीं जा रहा। खास तौर पर जिस तरह से मुंबई हमले के मास्टमाइंड जाकिर रहमान लखवी और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को कानूनी शिकंजे से बाहर रखा गया है उसको लेकर भारत एफएटीएफ में पाक को घेरने की कोशिश करेगा।
एफएटीएफ की बैठक 16 से 21 फरवरी तक पेरिस में होगी
जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान कोर्ट की तरफ से पेरिस में अगले हफ्ते (16 से 21 फरवरी, 2020) में एफएटीएफ की बैठक होनी है जो पाकिस्तान के लिए काफी अहम है। इसमें पाकिस्तान को निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में रखने या हटाने के साथ ही उसे ब्लैक लिस्ट (प्रतिबंधित सूची) में डालने पर विचार किया जाएगा। ऐसे में हाफिज सईद को आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तीय मदद देने के आरोप में सजा सुनाई गई है। सईद को जल्द ही उच्च न्यायालय से राहत मिल सकती है।
पाक सरकार की नजरें अमेरिका से आर्थिक सैन्य मदद हासिल करने पर टिकीं
पाकिस्तान सरकार की नजर ट्रंप प्रशासन की तरफ सैन्य प्रशिक्षण के लिए मिलने वाली आर्थिक मदद पर भी है। पिछले महीने ही अमेरिकी सरकार ने इसकी घोषणा की है कि कई वर्षो से स्थगित सैन्य प्रशिक्षण मदद अब दोबारा मुहैया कराई जाएगी, लेकिन इसके लिए ट्रंप प्रशासन को अमेरिकी कांग्रेस से अनुमति लेनी होगी।
हाफिज सईद को सुनाई की सजा भारत के लिए राहत की खबर नहीं
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक भारत को इससे खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हाफिज सईद पर मुंबई हमले को लेकर सजा नहीं सुनाई गई है। जबकि वहां की अदालत में यह मामला 11 वर्षो से चल रहा है।
मुंबई हमले का मास्टरमाइंड लखवी और जैश सरगना मसूद अभी भी शिकंजों के बाहर
हाफिज के साथ ही मुंबई हमले का दूसरा मास्टरमाइंड लखवी को दो वर्ष पहले नजरबंद करने की बात कही गई थी, लेकिन आज वह कहां है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसी तरह से जून, 2018 में एफएटीएफ की बैठक से पहले आतंकी संगठन जैश के सरगना अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गई, लेकिन उसके बारे में भी कोई सूचना नहीं दी गई है।
आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाक को दूसरे लोग मिल गये हैं
ओआरएफ के सीनियर फेलो व रणनीतिक विशेषज्ञ सुशांत सरीन का कहना है कि हाफिज सईद को मिली सजा का मतलब यह नहीं है कि वहां आतंकवाद को एक सरकारी नीति के तौर पर बढ़ावा नहीं दिया जा रहा बल्कि उन्हें इस काम के लिए दूसरे लोग मिल गये हैं। वहां पहले भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा होता रहा है।