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MP Politics: सिंधिया समर्थकों के कारण बिगड़ रहा शिवराज की कैबिनेट का संतुलन

भाजपा पहली खेप में अधिकतम 18 मंत्री अपने कोटे के बनाना चाह रही है। यही कारण है कि पार्टी के सामने चयन की बड़ी मशक्कत सामने है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 10:07 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 12:17 AM (IST)
MP Politics: सिंधिया समर्थकों के कारण बिगड़ रहा शिवराज की कैबिनेट का संतुलन

भोपाल, स्टेट ब्यूरो। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक जिन 22 विधायकों के कांग्रेस से पाला बदलने के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, उसमें सिंधिया समर्थकों का दबदबा दिखेगा। भाजपा नेताओं के मुताबिक शिवराज कैबिनेट के गठन में कम से कम 10 ऐसे समर्थकों को शपथ दिलाई जा सकती है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद कैबिनेट गठन की संभावना है।

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शिवराज के लिए कैबिनेट का गठन करना एक बड़ी चुनौती

पार्टी नेताओं के मुताबिक भाजपा के 14 से 18 विधायक तक मंत्री बनाए जा सकते हैं। 10 सिंधिया समर्थकों को शामिल करें तो संभावना है कि शिवराज कैबिनेट में लगभग 28 मंत्री शपथ ले सकते हैं। प्रदेश की सत्ता पर चौथी बार काबिज होते ही शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में भले ही बहुमत आसानी से साबित कर दिया हो, लेकिन कैबिनेट का गठन करना भी एक बड़ी चुनौती है।

भाजपा विधायक जोड़-तोड़ में सक्रिय, सिंधिया समर्थक गोटियां बिछा रहे

शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके पुराने दिग्गज विधायकों में से कई जोड़-तोड़ में सक्रिय हो गए हैं। वहीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सिंधिया समर्थक भी अपने लिए गोटियां बिछा रहे हैं। बताया जा रहा है कि विश्वास सारंग, कमल पटेल, विजय शाह, हरिशंकर खटीक, गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई जैसे भाजपा के कई विधायक हैं, जिनके मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की पूरी संभावना है। मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं, इस हिसाब से सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल 35 विधायक मंत्री बन सकते हैं।

सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कवायद

शिवराज की नई सरकार में सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कवायद होगी। क्षेत्रीय स्तर पर प्रदेश के सभी संभागों से मंत्री बनाने के साथ सामाजिक समीकरण के स्तर पर क्षत्रिय, ब्राह्मण, पिछड़े, अनुसूचित जाति और आदिवासी समाज को प्रतिनिधित्व दिए जाने की संभावना है पर कहीं-कहीं भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। सागर जिले की ही बात करें तो वहां से गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह के साथ गोविंद सिंह राजपूत भी कैबिनेट में शामिल होने वाले तीसरे दावेदार बन गए हैं। यही हाल रायसेन जिले का है। जहां से प्रभुराम चौधरी के साथ रामपाल सिंह भी मंत्री बनने की दौड़ में हैं।

सिंधिया समर्थकों के कारण समीकरण बिगड़ रहे

चंबल में भी सिंधिया समर्थकों के कारण समीकरण बिगड़ रहे हैं। वहां से यशोधरा राजे सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया जैसे पुराने भाजपा नेताओं के साथ सिंधिया समर्थक एदल सिंह कंषाना, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, मुन्नालाल गोयल सहित अन्य दावेदार हैं। इंदौर में भी तुलसी सिलावट पहले से ही दावेदार हैं और अब भाजपा के रमेश मैंदोला, मालिनी गौड़ या महेंद्र हार्डिया भी दावेदार हैं।

जातिगत संतुलन में भाजपा को आ रहीं दिक्कतें

जातिगत संतुलन में भी भाजपा को कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। राजपूत वर्ग के दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। रामपाल सिंह के अलावा भूपेंद्र सिंह, नागेंद्र सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह और सिंधिया समर्थक राज्यव‌र्द्धन सिंह दत्तीगांव प्रबल दावेदार हैं। यही स्थिति ब्राह्मण वर्ग की है। नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव के अलावा रीवा से राजेंद्र शुक्ल, सीधी से केदार शुक्ल, संजय पाठक, होशंगाबाद से सीतासरन शर्मा भी दावेदार हैं। एक तरह से मिली जुली सरकार के कारण भाजपा के सामने दिक्कत ये भी है कि वह पहली खेप में अधिकतम 18 मंत्री अपने कोटे के बनाना चाह रही है। यही कारण है कि पार्टी के सामने चयन की बड़ी मशक्कत सामने है।


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